गेहूँ के साथ घुन भी पिस जाता है
Gehu ke sath Ghun bhi pis jata hai
लता ने स्कूल से आकर बैग एक तरफ रख दिया। वह दादाजी के पास गई और बोली-“दादाजी, पता है, आज हमारी मैडम ने क्या किया?” क्या किया बेटा?” दादाजी ने पूछा। “दादाजी, आज हमारी क्लास के कुछ शरारती बच्चे शोर मचा रहे थे। जब मैडम क्लास में आई तो कुछ बच्चे लड़ाई-झगड़ा भी कर रहे थे। बस, मैडम को गुस्सा आ गया। उन्होंने क्लास के सारे बच्चों को हाथऊपर करके बेंचों पर खड़ा कर दिया। हम लोग आधा घंटे त रहे। परंतु दादाजी, हमने तो कुछ नहीं किया था। फिर हमें का मिली?” लता ने शिकायत-भरी आवाज में कहा।
तभी तो कहते हैं कि गेहूँ के साथ घुन मी पिस जाता है। यानी जो लोग गलती करते हैं, उनके साथ बेकसूरों को भी सजा मिल जाती है।” दादाजी ने समझाया, अमर भी वहीं बैठा था। वह बोला-“दादाजी, हमें इस कहावत के बारे में कहानी सुनाओ न!”
दादाजी ने कहना शुरू किया- “रामजी लाल की अनाज पीसने की दुकान थी। उसने चक्की पर अनाज पीसने के लिए दो-तीन नौकर भी रखे। हुए थे। लोग गेहूँ, चना, बाजरा, जौ आदि पीसने के लिए दे जाते और कुछ देर बाद आकर पिसा हुआ आटा ले जाते। उसका काम अच्छा चल रहा था।
रामजी लाल ने अपनी दुकान में कई तरह का अनाज भी रखा हुआ था। गेहूँ, चावल, चना, सोयाबीन आदि। उसके नौकर अनाज को बीन-फटककर साफ करते थे। उसके साफ-सुथरे अनाज को देखकर ज्यादातर लोग उससे अनाज खरीदकर पीसने के लिए भी दे जाते थे। रामजी लाल की ईमानदारी और मेहनत की वजह से लोग उसका आदर करते थे। उस पर विश्वास करते थे। रामजी लाल अपने ग्राहकों के साथ आदर और प्रेमपूर्वक बातें करता था। वह अपने ग्राहकों की मदद भी करता था। जरूरत पड़ने पर उन्हें उधार सामान दे देता था।
एक दिन एक ग्राहक उसकी दुकान पर चालीस किलो गेहूँ पीसने के लिए लाया। रामजी लाल ने थोड़े-से गेहूँ हाथ में लिए और उन्हें ध्यान से देखकर बोला-‘भैया, तुम्हारे गेहूँ में तो घुन लगा हुआ है। यह सुनकर ग्राहक बोला-‘अजी क्या बताऊँ? गाँव से पाँच बोरी गेहूँ मँगवाया था। अब इतने सारे गेहूँ को फेंक भी तो नहीं सकते। आप गेहूँ पीस देना। हो सके तो घुन निकालकर पीस देना।’ यह सुनकर रामजी लाल तपाक से बोला-‘यह तो हो ही नहीं सकता। गेहूं के साथ तो घुन भी पिस जाता है। भला गेहूं से घुन अलग कैसे हो सकता है?’ रामजी लाल की बातसुनकर उसकी दुकान में खड़े और ग्राहकों ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाई।। एक ग्राहक बोला-‘हाँ, भाई साहब! रामजी लाल बिलकुल ठीक कहते हैं कि गेहूँ के साथ घुन भी पिस जाता है। यह सुनकर वह व्यक्ति झेप गया।
” दादाजी ने कहानी समाप्त करते हुए कहा। “दादाजी, इसका मतलब है, हमें ऐसे लोगों के साथ नहीं रहना चाहिए जो गलत काम करते हैं। जैसे, अगर कुछ लोग जुआ खेल रहे हैं। और हम वहाँ खड़े हुए सिर्फ देख रहे हों, तो पुलिस जब छापा मारेगी तो हमें भी पकड़कर ले जाएगी। हमें बिना बात सजा मिलेगी। यानी हमें बुराई से दूर ही रहना चाहिए, इसी में हमारी भलाई है।” अमर बोला।