गधा व शेर की खाल
Gadha aur Sher ki Khal
दर किसी जंगल में, एक शरारती गधा रहता था। उसे दूसरों को सता में बेहद आनंद आता था। वह बिल्कुल भी समझदार और ईमानदार नदी था. वह निरा मूर्ख था। उसने कभी किसी से कुछ नहीं सीखा था।
जंगल के दूसरे जानवर, कभी बाहर नहीं जाते थे पर ये गधा अक्सर गांव की ओर निकल जाता। एक दिन, वह चमड़ा तैयार करने वाले की झोंपड़ी के पास से निकला। उसने देखा कि बाहर एक शेर की खाल सुखाने के लिए रखी गई थी।
गधे ने अपने खुर हवा में उठाए और तालियां बजाईं। आज तो मेरी किस्मत ने कमाल कर दिया। मैं शेर की खाल पहन कर पूरे जंगल पर राज कर सकता हूं। सारे जानवर डर जाएंगे और वही करेंगे, जो मैं उन्हें करने के लिए कहूंगा।”
तो उसने शेर की खाल पहन ली और शेर की तरह दिखने लगा। वह अब किसी भयंकर शेर जैसा लग रहा था! अब गधा अपना सारा समय पशुओं को डराने में बिताने लगा। वह उन्हें अपने नकली पंजों व तीखे दांतों से डराता। जानवर उसे देखते ही डर के मारे यहां-वहां भागने लगते। एक दिन, एक चतुर लोमड़ी अपनी यात्रा से लौट रही थी। “जहां तक मुझे जंगल के बूढे शेर का तो गांव वालों ने शिकार कर लिया था तो ये नया शेर कहां से आया?” उसने कहा।
गधे के पास गई और उसे पास से देखने लगी। पर देख कर तो कुछ पता नहीं चला।
“प्रिय शेर! नमस्ते।” उसने कहा पर शेर ने अपने मुंह से एक भी शब्द नहीं कहा।
‘बड़ी अजीब बात है। मुझे इसके मुंह से आवाज तो निकलवानी ही होगी।’ लोमड़ी ने सोचा उसने चतुराई दिखाते हुए गधे की तारीफ करना शुरू कर दिया। उसने कहा कि शेर देखने में इतना भयंकर है तो उसकी गरजने की आवाज कितनी तेज होगी। मूर्ख गधा उसकी बातों में आ कर अपनी असलियत भी भूल गया और जोर से आवाज निकाली। ये क्या ये तो कोई दहाड़ नहीं बल्कि गधे के रेंकने का स्वर था। इस तरह मूर्ख गधे की असलियत सबके सामने आ गई और फिर उसकी जम कर पिटाई हुई!
नैतिक शिक्षाः एक मूर्ख प्रायः अपने शब्दों से ही पहचाना जाता है।