चोर की दाढ़ी में तिनका
Chor ki Dadhi me Tinka
घोड़े पर सवार एक यात्री ने एक गाँव के समीप विश्राम करने के उद्देश्य से अपने घोड़े को रोका। वह स्वयं तो पेड़की छाया में आराम करने लगा तथा घोडे को उसने चरने के लिए खुला छोड़ दिया। घोड़ा चरते-चरते कुछ दूर निकल गया, जहाँ से कोई उसे हाँक कर अपने साथ ले गया। कुछ समय पश्चात् यात्री को अपने घोड़े की चोरी के विषय में पता चला। उसने इधर-उधर नजर दौड़ाई। कुछ दूरी पर उसे एक डंडा पड़ा हुआ दिखाई दिया। उसने वह डंडा उठाया और गाँव में जाकर जोर-जोर से चिल्लाने लगा, “जिसने भी मेरा घोड़ा चुराया है, वह उसे तुरंत वापस लौटा दे।” एक अजनबी को गाँव में इस प्रकार चिल्लाते देखकर सभी लोग उसके पास एकत्र हो गए। यात्री ने एक बार फिर चिल्लाते हुए कहा, “मैं चोर को अन्तिम चेतावनी दे रहा हूँ कि मेरा घोड़ा लौटा दे। नहीं तो मैं वही करूंगा जो मैंने पहले किया था।” डर के कारण भयभीत चोर ने यात्री को उसका घोड़ा लौटा दिया। यात्री अपने घोड़े को पाकर बहुत खुश हुआ। सहमते हुए चोर यात्री के पास पहुँचा तथा बोला, “यह तो बताइये। कि आपने पहले क्या किया था?” “मैंने….. मैंने एक नया घोड़ा खरीद लिया था!” यात्री ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया। इसलिए तो कहा गया है। कि चोर की दाढ़ी में तिनका।
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