बिना विचारे, पाछे पछताए
Bina Vichare Pache Pachtave
जंगल का राजा शेर बहुत ही खूखार व डरावना था। उसी जंगल के एक छोर पर एक झोंपड़ी में एक लकड़हारा अपनी पत्नी और एक पुत्री के साथ रहता था। लकड़हारे की पुत्री रूपा । बहुत सुन्दर थी। वह शेर को बहुत पसन्द थी। एक दिन उस युवती से विवाह करने के इरादे से वह उस लकड़हारे की झोंपड़ी के पास पहुँचा और उससे बोला, “लकड़हारे, मैं इस जंगल का राजा हूँ और मैं तुम्हारी पुत्री से विवाह करना चाहता हूँ।” शेर की बात सुनकर लकड़हारा डर गया। उसने सोचा, यदि वह शेर को मना कर देगा तो क्रोध में आकर शेर उसे व उसके परिवार को मारकर खा जाएगा। कुछ सोचकर वह शेर से बोला, “शेर महाराज! मेरी पुत्री तुम्हें बहुत पसन्द करती है। परन्तु । वह तुम्हारे बड़े-बड़े दाँतों तथा तीखे नाखूनों से बहुत डरती है। यदि तुम अपने सारे दाँत व नाखून उखड़वा दो तो वह तुमसे विवाह कर लेगी।”
शेर ने लड़की के प्रेम में बिना सोचे-विचारे अपने दाँत । तथा नाखून उखड़वा दिए तथा लकड़हारे के पास उसकी पुत्री से विवाह करने के लिए पहुँचा।
शेर के नाखून व दाँत के न रहने से लकड़हारे को उससे अब कोई भय नहीं
था। उसने डंडों से पीट-पीट कर शेर को जंगल में खदेड़ दिया। शेर अपना सा मुँह लेकर जंगल में भाग गया। अब जंगल के जानवर भी उससे नहीं डरते थे। शिकार न कर पाने के कारण कुछ ही दिनों में वह मूर्ख शेर भूखे रहने के कारण मर गया। कोई भी कार्य बिना सोच-विचार के नहीं करना चाहिए।