बद अच्छा बदनाम बुरा
Bad Accha Badnam Bura
एक बार एक भेड़िए और एक लोमड़ी में किसी बात पर झगड़ा हो गया। दोनों एक दूसरे पर धोखाधड़ी का आरोप लगा रहे थे पर कोई फैसला नहीं हो पा रहा था। थक-हारकर फैसले के लिए वे दोनों अदालत में पहुँचे। जज एक बंदर था। उसके सामने दोनों ने अपना-अपना पक्ष रखा। लोमड़ी भेड़िए को धोखेबाज बता रही थी जबकि इसके विपरीत भेडिया भी लोमड़ी पर कुछ ऐसा ही आरोप लगा रहा था। मुकदमा परस्पर विरोधी बातों से भरा हुआ था। अत: कोई स्पष्ट हल नहीं निकल पा रहा था। दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद बंदर जज भी परेशान होकर कोई उचित फैसला नहीं सोच पा रहा था। काफी देर बाद बंदर जज ने बड़ी गहराई से विचार करते हुए फैसला सुनाया, “ आमतौर पर लोमड़ियाँ बहुत चालाक होती हैं। वे जल्दी किसी के धोखे में नहीं आतीं। अत: भेड़िए पर झूठा आरोप लगाने के लिए यह लोमड़ी दण्ड की अधिकारी है और यहभी एक सच है कि भेड़िये बहुत दुष्ट होते हैं। किसी तरह की चालबाजी में वे भी। जल्दी नहीं फंसते, इसलिए यह भेड़िया भी झूठ बोल रहा है। अत: इसे भी दण्ड दिया जाए।” भेड़िया, तथा लोमड़ी अपना सा मुँह लेकर रह गए क्योंकि उन्हें जो सजा मिली थी वह उनके अपराध के कारण नहीं, अपितु उनकी बदनामी के कारण मिली थी। इसीलिए तो कहा गया है बद अच्छा बदनाम बुरा।