अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत
Ab Pachtaye hot kya jab Chidiya chug gai khet
लता स्कूल से आकर उछलती हुई दादाजी के पास गई। दादाजी ने पूछ। लिया-“लता बेटे, आज तुम बहुत खुश दिखाई दे रही हो। क्या बात है?” लता बोली-“दादाजी, मैं पास हो गई। अपनी क्लास में मेरा पहला नंबर है। लेकिन दादाजी हमारी क्लास में दो बच्चे फेल हो गए। वे रोने लगे तो मैडम ने उनसे कहा-‘अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत’। दादाजी, मैडम ने ऐसा क्यों कहा?”
दादाजी ने कहा-“बेटा, जब कोई व्यक्ति समय पर अपना काम नहीं करता और उसे नुकसान हो जाता है तब ऐसा ही कहा जाता है। इसे ठीक से समझाने के लिए एक कहानी सुनाता हूँ।” कहते हुए दादाजी ने अमर को भी बुला लिया और बोले-एक किसान था। वह बहुत मेहनती था। लेकिन उसका बेटा बहत आलसी था। किसान ने उसे अपने खेतों में खड़ी फसल की रखवाली का काम सौंप रखा था। लेकिन वह आलसी खेत में जाकर दिन-भर सोता रहता और सैकड़ों चिड़ियाँ उसके खेत में खड़ी फसल के दानों को खाती रहतीं। धीरे-धीरे दिन बीत गए और कुछ ही दिनों में बेचारे किसान की सारी फसल चिड़ियाँ चट कर गईं। जब किसान को इस बात का पता चला तो उसने अपना माथा पीट लिया। उसने अपने आलसी बेटे को बहुत डॉटा। किसान दुखी होकर रोते हुए बोला-“मुझे मेरे आलसी बेटे ने बरबाद कर दिया। काम का न काज का, दुश्मन अनाज का!’ यह देखकर उसका बेटा भी जोर-जोर से रोने लगा। वह रोते-रोते कह रहा था-‘मेरी वजह से सारी फसल चौपट हो गई। सारी मेहनत बेकार हो गई। पिताजी, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। मुझे माफ कर दीजिए। इस तरह दोनों बाप-बेटे अपने उजड़े हुए खेत को देख-देखकर रोने-बिलखने लगे।
“तभी राम नाम का जाप करते हुए एक साधु उधर आए। साधु ने किसान और उसके बेटे को रोते-बिलखते देखा तो रुक गए। उन्होंने किसान से रोने-धोने का कारण पूछा। किसान ने रोते हुए अपने आलसी बेटे के कारण नष्ट हो गई फसल के बारे में सारी बात बता दी। तब किसान का बेटा साधु के पैरों में गिर पड़ा और माफी माँगने लगा-‘मुझसे गलती हो गई बाबा! मेरी वजह से सारी फसल बरबाद हो गई। साधु ने किसान के बेटे को उठाया और बोले-‘बेटा, अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत! चलो उठो, भविष्य में अपना काम समय पर करना। याद रखो, मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है। ऐसा कहते हुए साधु ने किसान के बेटे के सिर पर हाथ फेरा। ” दादाजी ने कहानी समाप्त की।
कहानी सुनकर अमर बोला-“दादाजी, इसका मतलब है कि हमें अपना काम समय पर कर लेना चाहिए ताकि बाद में हमें पछताना न पड़े।” दादाजी बोले-“हाँ बेटा, इससे हमें यह सीख मिलती है कि आज का काम कल पर कभी नहीं छोड़ना चाहिए। किसी ने ठीक ही कहा है—
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगो कब?” दादाजी की बात सुनकर अमर और लता बोले-“दादाजी, अब हम अपना काम हमेशा समय पर पूरा करेंगे।” “हाँ, बेटे! हमेशा याद रखना कि बीता हुआ समय जीवन में किसी भी कीमत पर वापस लौटकर नहीं आता। इसलिए समय बड़ा ही अनमोल है। इसे बरबाद नहीं करना चाहिए।” दादाजी ने कहा।
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Regards:Shahir.
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