Hindi Story, Essay on “Aadhi Chod sari ko dhave, Aadhi mile na poori pawe”, “आधी छोड़ सारी को धावे, आधी मिले न पूरी पावे” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

आधी छोड़ सारी को धावे, आधी मिले न पूरी पावे

Aadhi Chod sari ko dhave, Aadhi mile na poori pawe

एक मछुआरा अपने भोजन के लिए मछली पकड़ने निकला। वह उल दे से नाले के किनारे, घास के टुकड़े पर जा बैठा। फिर उसने अपने मछली के कांटे में एक कीड़ा लगाया और उसे हौले से पानी में डबो दिया।

घंटों बीत गए और वह धीरज से प्रतीक्षा करता रहा। एक भी मछली पकड़ में नहीं आई। वह सोचने लगा कि आज उसे कितनी देर इंतजार करना होगा।

और अंत में, उसे अपने कांटे पर हल्का सा खिंचाव महसूस हुआ। क्या मछली ने कांटा निगल लिया था? बेशक एक मछली तो पकड़ी ही गई थी। उसने देर नहीं लगाई और कांटे को पानी से बाहर निकाल लिया। वहां कांटे के कोने में एक नन्ही सी मछली फड़फड़ाती दिखाई दी।

पठारे ने उसे झट से लपक लिया। डर था कि कहीं वह कांटे से छट कर, फिर से पानी में न जा गिरे। ज्यों ही उसने मछली को हाथ में लिया तो वह इंसानों की तरह बोलने लगी।

“मेहरबानी करके मुझे जाने दो, मैं तो नन्ही सी मछली हूं। तुम इतने बडे आदमी हो। भला मुझे खा कर, तुम्हारा पेट कैसे भरेगा….”

मछुआरा मछली को बोलते देख हैरान रह गया पर उसे समझ नहीं आया। कि वह क्या कहे। मछली ने सोचा कि वह उसे बातों के जाल में उलझा कर अपनी बात मनवा लेगी। वह बोली, “मुझे अभी जाने दो। कुछ ही दिन में, मैं बड़ी हो जाऊंगी। तब तुम मुझे फिर से पकड़ कर खा सकते हो।”

मछुआरे ने उसकी बात आराम से सुनी पर वह कोई मूर्ख नहीं था। उसने मछली से कहा, “ भले ही आज भरपेट मछली नहीं खा सकेंगा पर बाद में बड़ी मछली का भोजन पाने की उम्मीद में आज भूखा क्यों रहूं?” और ये कहते ही उसने मछली को टोकरी में रखा और अपना भोजन तैयार करने के लिए घर चल दिया।

नैतिक शिक्षाः आधी छोड़ सारी को धावे, आधी मिले न पूरी पावे।

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