युवा वर्ग का मस्तिष्क नई-नई बातों की ओर ज्यादा तेज दौड़ता है। उसमें अन्य वर्ग के व्यक्तियों से अधिक आवेश और शक्ति होती है। इस अवस्था में यदि सही शिक्षा और उचित मार्गदर्शन न मिले तो यही शक्ति और प्रेरणा निर्माण के स्थान पर विनाश की ओर ले जाती है। बिगड़ने और बनने की भी आयु यही होती है। दुर्भाग्य से हमारे देश में शिक्षा पद्धति केवल उपाधि बाँटने का काम ही करती है, संपूर्ण व्यक्तित्व युक्त मनुष्य बनाना आज की शिक्षा पद्धति के लिए मुश्किल है। (91 शब्द)
सार-युवाओं में आवेश और शक्ति होती है। सही शिक्षा तथा मार्गदर्शन का अभाव उन्हें विनाश की ओर ले जाता है। आज की शिक्षा संपूर्ण व्यक्तित्व निर्मित न कर केवल उपाधियाँ वितरित करती है। (33 शब्द)
शीर्षक-युवा वर्ग और शिक्षा