परिश्रम एक ऐसी साधना है जिसके द्वारा मनुष्य महान से महान कार्य कर सकता है। परिश्रमी मनुष्य संसार में क्या नहीं कर सकता? वह पर्वत की चोटियों पर चढ़ सकता है दुरूह से दुरूह रेगिस्तान को पार कर सकता है, कठिनाइयों को झेल सकता है और कठिन से कठिन परिस्थितियों से संघर्ष करके उन्हें अपने जीवन के अनुरूप बना सकता है। जिस व्यक्ति में परिश्रम का गुण होता है, जिसमें पुरुषार्थ की प्रवृत्ति है, वह अपने जीवन में कदापि टख और निराशा के झंझावातों से भयभीत नहीं हो सकता। (88 शब्द)
सार-परिश्रमी व्यक्ति सब कुछ कर सकता है। कठिन से कठिन परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बना सकता है। वह दुख और निराशा से कभी भयभीत नहीं होता। (27 शब्द)
शीर्षक-परिश्रम।