Hindi Patra Lekhan “Sampadak ko Rail yatra me sudhar hetu dusri shreni ki yatra me sudhare ke liye patra likhiye” Class 10 and 12.

डेली मेलको एक पत्र लिखिए जिसमें निर्दिष्ट कीजिए कि दूसरी श्रेणी में रेल-यात्रा में सुधार किए जा सकते हैं और सुझाव दीजिए कि किराए में तब तक वृद्धि नहीं की जानी चाहिए जब तक कि पहले ये सुधार न कर लिए जाएं।

सम्पादक,

‘द डेली मेल’,

मुम्बई।

महोदय,

मुझे आपके प्रतिष्ठित समाचारपत्र के माध्यम से भारतीय रेल की दूसरी श्रेणी की दयनीय यात्रा स्थिति के संबंध में लोगों की शिकायतों को आवाज उठाने की अनुमति प्रदान कीजिए। स्थिति इतनी दयनीय है कि इन पत्रों के माध्यम से गरीब यात्रियों के भाग्य का वर्णन करना काफी कठिन है। यदि संस्था का कोई व्यक्ति केवल दिल्ली से गाजियाबाद तक दूसरी श्रेणी में यात्रा का प्रयास करे तो वह भारत में रेल की यात्रा में व्यापक अव्यवस्था की झलक देख सकता है।

आप 80 यात्रियों वाले डिब्बे में लगभग 400 यात्रियों को देख सकते हैं। 5 या 6 लोग शौच घर में यात्रा करते हैं जिनके बारे में लिखने की आवश्यकता नहीं है। सबसे पहले यह अव्यवस्था दूसरी श्रेणी के अनारक्षित डिब्बों में देखने को मिलती है। यदि कोई इसमें घुसता है तो वह संभवतः धक्का-मुक्की किए बिना इससे बाहर नहीं निकल सकता है। हाल ही में समाचार प्रकाशित हुआ कि कई व्यक्ति, जिनमें महिलाएँ एवं बच्चे भी शामिल थे, गंतव्य स्टेशन पर उतरने के लिए पंक्तिबद्ध होने के दौरान कुचल कर मारे गए। पूरे भारत में प्रतिदिन हजारों यात्री रेलगाड़ी की छत पर यात्रा करते हैं और इसके कारण प्रतिवर्ष कई दुर्घटनाएं घटती हैं। जिसके बारे में कोई आंकड़ा नहीं मिल पाता है।

कभी-कभी लोग प्यास से या घुटन के कारण बेहोश हो जाते हैं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि दूसरी श्रेणी, विशेषकर भीड़ भरे डिब्बों में यात्रा करने वाले व्यक्तियों की स्थिति उन जानवरों से भी बदतर होती है जिन्हें बड़े शहरों से कसाईखानों तक रेलगाड़ी द्वारा ढोकर लाया जाता है। मुझे प्रवेश द्वार के बाहर की छड़ पकड़े हुए और प्रवेश द्वार के हत्थे की छड़ के सहारे अपने शरीर में रस्सी बांधकर रेल-यात्रा करने वाले लोगों को देखने का अवसर मिला है।

इसलिए, भीड़ भरे इलाकों में रेलगाड़ी की सेवा बढ़ाएँ, इन रेलगाड़ियों पर सुरक्षा व्यवस्था और सुविधा प्रदान कर एवं छत और पायदान पर यात्रा को प्रतिबंधित कर स्थिति में सुधार करने की आवश्यकता है।

जब तक व्यवस्था में सुधार नहीं कर लिया जाता है तब तक सरकार को रेल-भाड़े में प्रस्तावित वृद्धि को लागू करने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए।

भवदीय,

(क)

5 अगस्त,…

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