नगर निगम के कर्मचारियों की बार-बार होने वाली हड़तालों के प्रभाव पर अपना विचार रखते हुए ‘मार्डन टाइम्स‘ के सम्पादक को एक पत्र लिखिए।
सम्पादक,
‘द मॉडर्न टाइम्स’,
नई दिल्ली।
महोदय,
मुझे राजधानी का एक नागरिक होने के कारण यहाँ के नगर निगम के कर्मचारियों की बार-बार होने वाली हड़तालों से लाखों लोगों के कष्ट को देखते हुए मुझे संबंधित अधिकारियों का ध्यान बढ़ती हुई हड़ताल तथा इसके समापन के लिए प्रभावशाली कदम उठाने के संबंध में आकृष्ट करने का अवसर मिला है। अब यह सभी जानते हैं कि बिजली कर्मचारियों की हड़ताल बदनाम हो गयी है और आवश्यक सेवा के तहत आने वाली संस्था के ये कर्मचारी इस सुविधा का दुरुपयोग करते हैं और पूरी जनता को असुविधा पहुंचाते हैं और संबंधित अधिकारी तानाशाही रूख अख्तियार कर उनका भयादोहन करते हैं। शाम को पूरे शहर का अंधकार में डूबना, दोपहर में पसीने वाली गर्मी के दौरान बिजली का गुल हो जाना और जलापूर्ति का नियमित बाधित होना अधिकारियों की विवशता, मजबूरी हो गई है। इसलिए, मैं इस खतरे को हमेशा के लिए समाप्त करने के लिए अधिकारियों से निम्नलिखित प्रभावी कदम उठाने का आग्रह करता हू।
(i) बिजली, जलापूर्ति, लोक परिवहन जैसी आवश्यक सेवाओं में हड़तालों को अध्यादेश द्वारा गैर-कानूनी घोषित किया जाना चाहिए। यह सार्वजनिक संकट उत्पन्न करने वाले दोषी व्यक्ति के लिए कड़े दंड का प्रावधान होना चाहिए।
(ii) यह भी महत्त्वपूर्ण है कि इन सेवाओं में काम करने वाले लोगों को उचित वेतन और अच्छा आवास दिया जाना चाहिए। लोगों का जीवन स्तर बढ़ गया है और इस सेवाओं में काम करने वाले कर्मचारियों को इससे वंचित नहीं किया जा सकता है। उनके जीवन स्तर में सुधार करना वैधानिक अभिप्रेरणा है। संबंधित संस्थाओं को स्वयं इस पहलू की जाँच करनी चाहिए और बिना कहे ही उनकी स्थिति के अनुसार उन्हें सुविधाएँ प्रदान करनी चाहिए जिससे कि वे अपनी तर्कसंगत माँगों को मनवाने के लिए अनुचित और असामाजिक तरीकों को अपनाने को बाध्य न हों।
(iii) उपयुक्त तंत्र की स्थापना की जानी चाहिए और जैसे ही विवाद उठते हैं उनके समाधान के लिए प्रभावी उपाय किए जाने चाहिए। यदि आवश्यक हो तो विवादों का समाधान मध्यस्थता से किया जाना चाहिए। मध्यस्थता की प्रक्रिया विलम्बकारी एवं समय लेने वाला नहीं हो। इनके अपने लाभ होते हैं। इससे समय पर एवं दोनों पक्षों के लिए सुविधाजनक स्थान पर सम्पन्न किए जा सकते हैं। मध्यस्थता करने वाले को सभी मामलों की पूरी जानकारी होती है और इसलिए, मध्यस्थता द्वारा विवाद का निर्णय किसी न्यायालय के कमरे में बैठे न्यायाधीश के निर्णय की तुलना में अधिक संतोषजनक होता है।
5 जुलाई,
भवदीय,
(क)