अपने मित्र को किसी प्रदर्शनी का वर्णन करते हुए एक पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन,
25 मार्च,……
प्रिय रमेश,
तुम्हारे पत्र के लिए बहुत धन्यवाद। मुझे खुशी है कि तुम आगे के अध्ययन के लिए इंग्लैंड जा रहे हो। वास्तव में हम लोगों को तुम्हारी अनुपस्थिति बहुत खलेगी। तुमने मुझसे हाल ही में दिल्ली में सम्पन्न अखिल भारतीय प्रदर्शनी के बारे में कुछ बताने के लिए कहा है। प्रदर्शनी देश के सभी भागों से आने वाले व्यापारियों, सौदागरों, रसायनविदों, औषधि- विक्रेताओं, उद्योगपतियों, धनी-मानी व्यक्तियों के आकर्षण का केंद्र बन गयी। ऐसी प्रदर्शनियाँ देश के आर्थिक एवं औद्योगिक विकास के लिए आवश्यक होती हैं। यहाँ लगी इस प्रदर्शनी में मुख्यतः बिजली से चलने वाली वस्तुएँ, रेशमी वस्त्र, औषधि, दवा, दरी, फर की टोपी, मोटरवाहन, आभूषण, स्कूटर जैसी सभी प्रकार की वस्तुएं प्रदर्शित की गई थीं। युवक एवं बूढ़े, अमीर एवं गरीब, कृषक एवं ग्रामीण, लड़के एवं लड़कियाँ सभी प्रकार के लोग यहाँ आनंद लेने और खरीदारी करने आए थे। सामान्य व्यापारियों ने टोपियों, झॉकरी, खिलौने, फैंसी वस्तुओं, बिजली की वस्तुओं आदि का प्रदर्शन किया।
भारतीय प्रदर्शनी ने नयनाभिराम दृश्य प्रस्तुत किया। लड़के, बच्चे, पुरुष और स्त्रियां सुन्दरतम कपड़े पहने। हुए थे । पूरा स्थान शोरगुल और हँसी से जीवंत था। पड़ोसी गाँव से आए हुए कुछ देहाती लोग आश्चर्य से और भावशून्य होकर अपनी आँखें फाड़े और मुँह खोले इधर-उधर देख रहे थे। ये सभी स्थान पर रुकते थे और सभी वस्तुओं को उत्कंठा से और ध्यानपूर्वक देखते थे।
दोनों जुआघरों के निकट काफी लोग जमा थे। इन जुआघर के प्रबंधकों ने कई निर्दोष व्यक्तियों को धोखा दिया। यह खुला जुआ था। कई झूले, सिनेमाघर, मधुशाला, नाचघर, इत्यादि भी थे। ऊँची मीनार से पानी से भरी टंकी में छलांग, कुएं की वक्र सतह पर मोटरसाइकिल चालक के करतब, जादूगरों के जादू और उनके करतब सभी मनोरंजक एवं चित्ताकर्षक थे। सुंदर चित्रकलाओं वाले कलाभवन और नवीनतम वैज्ञानिक आविष्कार वाले विज्ञान भवन ने कई पुरुषों एवं महिलाओं का ध्यान आकर्षित किया।
मैं आशा करता हूँ कि तुम इंग्लैंड जाने के पहले दिल्ली आओगे। कृपया आओ और मुझसे मिलो।
तुम्हारा सच्चा मित्र,
(क)