संगठन में शक्ति है
Sangathan mein Shakti hai
एक समय की बात है, कबूतरों का एक दल भोजन की तलाश में उड़ता हुआ जा रहा था। गलती से वह दल भटककर ऐसे प्रदेश के ऊपर से गुजरा, जहाँ भयंकर अकाल पड़ा था। कबूतरों का सरदार चिंतित था। कबूतरों के शरीर की शक्ति समाप्त होती जा रही थी। शीघ्र ही कुछ दाना मिलना जरूरी था। दल का युवा कबूतर सबसे नीचे उड़ रहा था। भोजन नजर आने पर उसे ही बाकी दल को सूचित करना था। बहुत समय उड़ने के बाद वह सूखाग्रस्त क्षेत्र से बाहर आया। नीचे हरियाली नजर आने लगी तो भोजन मिलने की उम्मीद बनी। युवा कबूतर और नीचे उड़ान भरने लगा। तभी उसे नीचे खेत में बहुत सारा अन्न बिखरा नजर आया। वह बोला, “चाचा, नीचे खेत में बहुत सारा दाना बिखरा पड़ा है। हम सबका पेट भर जाएगा।”
सरदार ने सूचना पाते ही कबूतरों को नीचे उतरकर खेत में बिखरा दाना चुगने का आदेश दिया। सारा दल नीचे उतरा और दाना चुगने लगा। वास्तव में वह दाना पक्षी पकड़ने वाले एक शिकारी ने बिखेर रखा था। ऊपर पेड़ पर उसका जाल तना था। जैसे ही कबूतर-दल दाना चुगने लगा, जाल उन पर आ गिरा। सारे कबूतर उसमें फँस गए।
कबूतरों के सरदार ने माथा पीटा, “ओह! यह तो हमें फँसाने के लिए फैलाया गया जाल था। भूख ने मेरी अक्ल पर परदा डाल दिया था। मुझे सोचना चाहिए था कि इतना अन्न बिखरा होने का कोई मतलब है। ‘अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत’ ?”
एक कबूतर रोने लगा, “हम सब मारे जाएँगे।”
बाकी तो हिम्मत हार बैठे थे, पर सरदार गहरी सोच में डूबा था।
एकाएक उसने कहा, “सुनो, जाल मजबूत है यह ठीक है, पर इसमें इतनी भी शक्ति नहीं कि एकता की शक्ति को हरा सके। हम अपनी सारी शक्ति को जोड़ें तो मौत के मुँह में जाने से बच सकते हैं। “
युवा कबूतर फड़फड़ाया, “चाचा! साफ-साफ ‘बताओ’ तुम कहना क्या चाहते हो। जाल ने हमें तोड़ रखा है, शक्ति कैसे जोड़ें ?”
सरदार बोला, “तुम सब चोंच से जाल को पकड़ो, फिर जब मैं फुर्र कहूँ तो एक साथ जोर लगाकर उड़ना।”
सबने ऐसा ही किया। तभी जाल बिछाने वाला शिकारी आता नजर आया। जाल में कबूतर को फँसा देख उसकी आँखें चमकीं। हाथ में पकड़ा डंडा उसने मजबूती से पकड़ा व जाल की ओर दौड़ा।
शिकारी जाल से कुछ ही दूर था कि कबूतरों का सरदार बोला, “फुर्रर्रर्र!”
सारे कबूतर एक साथ जोर लगाकर उड़े तो पूरा जाल हवा में ऊपर उठा और सारे कबूतर जाल को लेकर उड़ने लगे। कबूतरों को जाल सहित उड़ते देखकर शिकारी अवाक् रह गया। कुछ सँभला तो जाल के पीछे दौड़ने लगा। कबूतर सरदार ने शिकारी को जाल के पीछे दौड़ते पाया तो उसका इरादा समझ गया। सरदार भी जानता था कि अधिक देर तक कबूतर दल के लिए जाल सहित उड़ते रहना संभव न होगा। पर सरदार कबूतर के पास इसका उपाय था। निकट ही एक पहाड़ी पर उसका एक चूहा मित्र रहता था। सरदार ने कबूतरों को तेजी से उस पहाड़ी की ओर उड़ने का आदेश दिया। पहाड़ी पर पहुँचते ही सरदार का संकेत पाकर जाल समेत कबूतर चूहे के बिल के निकट उतरे। सरदार ने मित्र चूहे को आवाज दी। संक्षेप में चूहे को सारी घटना बताई और जाल काटकर उन्हें आजाद करने के लिए कहा। कुछ ही देर में चूहे ने वह जाल काट दिया। सरदार ने अपने मित्र चूहे को धन्यवाद दिया और कबूतर दल आकाश में आजादी की उड़ान भरने लगा।
सीख : एकजुट होकर बड़ी से बड़ी विपत्ति का सामना किया जा सकता है।