समुद्री तूफान से पीड़ित अपने मित्र को पत्र लिखकर उसके मृत बन्धुजनों के लिए शोक प्रकट कीजिए।
10/12 कैलाशपुरी,
भोपाल।
प्रिय हितेश,
सप्रेम नमस्ते।
आज ही तुम्हारा पंन्न मिला। मैं कई दिनों से तुम्हारे पत्र की प्रतीक्षा कर रहा था। समाचार-पत्र में जब मैंने पढ़ा कि मद्रास क्षेत्र में आने वाले चक्रवात से काफी हानि हुई है। मेरा माथा ठनको। न जाने मेरे मन में एक आशंका ने घर कर लिया। मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था कि यह समाचार भी पढ़ा कि भयंकर तूफान की चपेट में आकर बीस नौकाएँ व आठ जहाज पानी में डूब गए हैं। करोड़ों रुपए की जानमाल की हानि हुई है। मित्र तुम्हारे पत्र ने मेरा दिल दहला दिया है। तुम्हारे पिताजी का जहाज पानी में डूब गया। इसे सुनकर दिन सहसा रो पड़ा। मुझे बेहद दुःख हुआ है। मैं पिताजी को कभी नहीं भुला पाऊँगा। ईश्वर ने जो यह विनाश लीला की है, उसमें किसी को कोई वश नहीं चलता। अब सारा उत्तरदायित्त्व तुम्हारे कन्धों पर है। प्रिय मित्र तुम्हारे ऊपर जो आपत्ति का पहाड़ टूटा है। उसे बड़े साहस व धैर्य से सहन करना होगा, क्योंकि छोटे बहन-भाइयों तथा माँ को संभालना अत्यन्त आवश्यक है।
मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि ईश्वर तुम्हें असीम हानि को सहन करने की शक्ति प्रदान करे तथा मृतात्मा को शान्ति प्रदान करे।
पत्रोत्तर की आशा में।
तुम्हारा मित्र,
के.ख.ग.
दिनांक : 3 मार्च, 1999