Hindi Letter “Mitra ko Uske Pitaji ki Mrityu par Shok patra”, “मित्र को उसके पिता जी की मृत्यु पर शोक प्रकट करते हुए पत्र” for Class 7, 8, 9, 10, 11 and 12 Students.

मित्र को उसके पिता जी की मृत्यु पर शोक प्रकट करते हुए पत्र।

30, रघुबीर नगर,

दिल्ली-16

14 मई, 200…

मित्रवर राजीव,

कल ही आपका शोक पत्र मिला। परमात्मा की कैसी विडंबना है कि तीन दिन पहले जिन्हें मैं पूर्ण । स्वस्थ देखकर आया था, मेरे पीछे ऐसा क्या कुचक्र चला, जो भगवान ने उन्हें अपने पास बुला लिया। उन्होंने मुझे विश्वास दिलाया था कि संजय, मैं तुम्हारे विवाह में अवश्य आऊँगा, परन्तु, ईश्वर का कुछ और ही इच्छा थी।

कितना विनम्र स्वभाव था। मैंने तो कभी उन्हें अपना चाचा नहीं समझा। वे मेरे पिता समान थे। मन उनसे हमेशा पिता का स्नेह पाया। इतने स्नेहशील, धैर्यवान प्राणी पथ्वी पर कम ही टिकते हैं। कर काल ने उन्हें अपना ग्रास बनाकर ही चैन लिया। छोटे-छोटे बच्चों के ऊपर से पिता जी की छत्रछाया उठ गई।

परन्तु राजीव तुम बड़े हो। पिता के भी गुण तुम्हारे अंदर विद्यमान हैं। गई चीज कभी वापस नहीं यह तुम भी जानते हो। धीरज रखो, मृत्यु सबको आती है-यही सोच मन को शांत करो। मैं तो संकट की इस घडी में सांत्वना देने के सिवा और कर ही क्या सकता हूँ।

में मेरी परमपिता परमात्मा से यही परमात्मा से यही प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे तथा परिवार नों को यह असीम दुःख सहन करने की शक्ति तथा साहस दे, ताकि वे आने वाली कठिनाइयों का मुकाबला कर सकें।

तुम्हारे दुःख में दुःखी,

तुम्हारा मित्र

संजय

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