मित्र को ग्रीष्मावकाश अपने साथ बिताने के लिये पत्र
अथवा
मित्र को ग्रीष्मावकाश किसी पहाड़ी स्थान पर बिताने के लिये पत्र।
2131, माडल टाउन,
9 मई, 200…
मित्रवर सोमेश,
सप्रेम नमस्ते।
आज ही डाक से तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर अति प्रसन्नता हुई कि तुम सप्तम कक्षा में न केवल उत्तीर्ण हुए हो, बल्कि तुमने प्रथम स्थान भी प्राप्त किया है। मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करो। तुमने पत्र में लिखा है कि गर्मियों की छुट्टियों में अपने पूज्य भ्राता जी के पास जा रहे हो, पर हमने कुछ और ही कार्यक्रम बनाया है।
ग्रीष्मावकाश बिताने के लिये हमारा सारा परिवार मामा जी के पास शिमला जा रहा है। कितना अच्छा होता यदि तुम भी साथ रहते। मेरे माता-पिता जी भी यही चाहते हैं कि तुम हमारे साथ शिमला चलो। शिमला में मेरे मामाजी का अच्छा कारोबार है। उन्होंने हमें कई बार निमंत्रित किया, परंतु हम जा नहीं सके। इस बार निश्चय कर ही लिया है। मेरे साथ मेरी उम्र का कोई साथी नहीं है। तुम्हारा साथ मेरी छुटियों को आनंदपूर्वक बिताने में सहायक होगा।
शिमला की हरी-भरी घाटियाँ मन को मोह लेती हैं। प्रसिद्ध जाखू मंदिर व तारादेवी के मंदिर के दर्शन कर भगवान से आशीर्वाद प्राप्त कर शिमला के मालरोड, लोअर बाजार व अपर बाजार आदि का लेंगे। रिज पर बैठकर हम दोनों घंटों शीतल समीर का आनंद लेंगे। तुम्हारे पिताजी से आज्ञा लिये मैंने उन्हें भी पत्र लिख दिया है। आशा है वे स्वीकृति प्रदान कर देंगे। तुम अपनी तैयारी आरंभ कर दो।
पूज्या चाचाजी और चाचाजी और चाचीजी को सादर प्रणाम, बंटी को प्यार।
तुम्हारा अभिन्न हृदय
लाजपत मुखी