किसी दैनिक पत्र के सम्पादक को पत्र लिखकर अपने क्षेत्र में बिजली संकट से उत्पन्न कठिनाइयों का वर्णन करो।
मोरी गेट,
सेवा में,
श्रीमान सम्पादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
बहादुरशाह जफर मार्ग,
नई दिल्ली।
विषय : बिजली संकट से उत्पन्न विकट स्थिति।
मान्यवर,
आपका लोकप्रिय समाचार-पत्र न केवल जनता की आवाज है अपित वह जनता का वकील बनकर उसकी कठिनाइयों की वकालत भी करता है। मैं आपके पाठकों का एवं सम्बन्धित अधिकारियों का ध्यान बिजली संकट से उत्पन्न विकट स्थिति की ओर दिलाना। चाहता हूँ।
बिजली आज के युग में मनुष्य के जीवन का आवश्यक अंग सिद्ध हो रही है। आए दिन बिजली का समय-असमय गुल हो जाना अथवा बिजली की आँख-मिचौली लोगों के लिए भारी परेशानी का कारण बना एक दुखद समस्या है। गर्मियों के दिनों में बिजली के चले जाने से लोगों का हाल-बेहाल हो जाना स्वाभाविक है। परीक्षा के दिनों बिजली का गल हो जाना परीक्षार्थियों के लिए अभिशाप बन जाता है। बिजली बन्द तो कारखाने बन्द कारखाने बन्द तो उत्पादन बन्द| बिजली नहीं तो ट्यूबवैल नहीं चला सकते। इस तरह न तो समय पर खेतों की सिंचाई हो पाती है और न ही भरपुर उपज ही हो पानी १ विजली की उपयोगिता जीवन के हर क्षेत्र में अपना विशिष्ट स्थान रखती है।
बिजली-संकट से उबरने के लिए अधिकारी कभी तो लोगों को गर्मियों में वातानतिर। न चलाने की अपील करते हैं, तो कभी अलग-अलग क्षेत्रों में समयावधि के लिए बिजली वितरण न करने की घोषणा करते हैं। मैं समझता हूँ कि यदि अधिकारीगण उन कारखानों पर बिजली वितरण का कड़ा नियन्त्रण करें, जो बिजली स्वीकृत वितरण से अधिक उपयोग करते हैं, तो निश्चय ही बिजली के समान वितरण से बिजली का विकट संकट दूर हो सकता है।
धन्यवाद सहित।
भवदीय,
क. ख. ग.
दिनांक : 10 मार्च, 1999
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