अपने मित्र को पत्र लिखें जिसमें उसके पिता के आकस्मिक देहान्त पर सांत्वना दी गई हो।
108 गांधी नगर,
गुरदासपुर
दिनांक : 10 जून, 2011
प्रिय मित्र मुनीष,
नमस्ते।
अभी-अभी आपका पत्र मिला। आपका पिता जी के अचानक देहान्त हो जाने का समाचार पढ़ कर पैरों तले जमीन खिसक गई। हृदय सन्न रह गया। विश्वास ही नहीं आ रहा है कि पिता जी अब हमारे बीच नहीं हैं। सचमुच यह आपके परिवार पर गहरा वज्रपात हुआ है। पिता जी परिवारकी नाव को मंझधार में छोड़कर चल गए हैं। अचानक ही ऐसा कैसे हो गया है समझ नहीं आता। अभी पिछले सप्ताह ही तो मैं आपके पास आया था। हंसी-खुशी में दिन बीत रहे थे। पिता जी कैसे हमें बच्चों की तरह कहानियां सुनाते थे। उनका वही चेहरा मेरे सामने रह-रह कर आ रहा है। कभी सोचा भी नहीं था कि एक सप्ताह के भीतर पिता जी अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर चले जाएंगे।
प्रिय मित्र इस गहरे दु:ख के समय स्वयं को सभालना, मैं तुम्हारे दुःख को समझ सकता हूँ। अब तो भगवान से यही प्रार्थना कि उनकी आत्मा को सद्गति प्रदान करे और आपके समस्त दुःखी परिवार को इस असहनीय दुःख को सहन करने की शक्ति दे।
शोकाग्रस्त,
रणजीत।