अपने मित्र को पत्र लिखिए जिसमें उसे गर्मियों की छुट्टीयों में अपने साथ कश्मीर चलने का निमन्त्रण दीजिए।
Mitra ko Patra likh kar Garmiyo ki Chuttiyo me apne saath Kashmir Chalne ka Nimantran
435 बसन्त विहार
लुधियाना
15 जून, 2011
प्रिय मित्र अशोक,
सादर नमस्कार।
आज ही तुम्हारा पत्र मिला। पढ़ कर प्रसन्नता हुई कि तुमहारी परीक्षाएं समाप्त हो गई हैं और तुम्हें पूरी आशा है कि इस बार भी तुम अपनी कक्षा में प्रथम आओगे। तुमने पत्र में लिखा है कि ग्रीष्मावकाश में तुम अपने मातापिता के साथ गाँव में ही रहोगे। हमने तो कुछ और ही कार्यक्रम बनाया हुआ है। मैं अपने माता-पिता के साथ कश्मीर जा रहा हूँ। कितना अच्छा हो, यदि तुम भी मेरे साथ चलो। मेरे माता-पिता जी यही चाहते हैं कि तुम भी हमारे साथ
कश्मीर चलो। वैसे भी पिछले वर्ष जब मैं तुम्हारे साथ शिमला गया था तो तुमने वायदा किया था कि अगले वर्ष मेरे साथ चलोगे।
कश्मीर पृथ्वी का स्वर्ग है। वहाँ का सौन्दर्य अद्वितीय है। हम लोग कश्मीर की सुन्दरता का आनन्द लेगें तथा वैष्णो देवी के दर्शन भी करेगें। यदि तुम मेरे साथ चलोगे तो मेरा आनन्द दुगना हो जाएगा। मैंने तुम्हारे पिता जी को अलग से भी एक पत्र लिख दिया है जिसमें उनसे तुम्हें मेरे साथ चलने की अनुमति देने की प्रार्थना की है। मुझे आशा है, वे मना नहीं करेगें। अतः तुम अपनी तैयारी आरम्भ कर दो।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
कंवलजीत।