अपने छोटे भाई को कुसंगति से बचाने के लिए पत्र लिखे।
Chote Bhai ko Kusangati se Bachne ke liye Patra
432 न्यू प्रेम नगर,
अमृतसर, 13 दिसम्बर, 2011
प्रिय अनुज
शुभाशीष!
आशा है कि तुम स्वस्थ एवं प्रसनाचित होंगे। आज मझे एक साथ दो पत्र प्राप्त हुए-एक घर से पिता जी का तथा दूसरा तुम्हारे विद्यालय से प्रधानाचार्य द्वारा भेजा गया अंक पत्र तथा रिपोर्ट। पिता जी ने स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि तुम अधिकांश समय ऐसे मित्रों के साथ व्यतीत करते हो जिन्हें तुम ही पहले भला-बुरा कहते थे और उसका परिणाम भी आज तुम्हारे सामने है। त्रैमासिक परीक्षा में आप सभी विषयों में अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण थे लेकिन अब किसी भी विषय में उतीर्ण नहीं हो। तुम्हारे प्रधानाचार्य ने भी तुम्हारे व्यावहार को सन्तोषजनक नहीं पाया है।
प्रिय भैया आप तो कहते थे कि मैं तो डाक्टर बनूंगा। मैं जानता हूँ कि बरी संगति के कारण ही तुम्हें इस समय यह परिणाम देखना पड़ा है। देखो, पारस पत्थर का स्पर्श पाकर लोहा सोना हो जाता है, परन्तु बेर का साथ पाकर केले का शरीर कांटों से बिंध जाता है। बुरे बच्चों के साथ घूमकर तुम अपना अधिकांश समय व्यर्थ गवाते हो। बेकार घूमने से स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है और लोगों की नजरों में भी गिरते हैं तथा पढ़ाई का भी नुकसान होता है। बुरी संगत बुद्धि और घर सभी कुछ बर्बाद कर देती है। इसलिए तुम्हें सावधान करता हूँ। माता-पिता जी का आर्शीवाद तुम्हारे साथ है। किसी वस्तु की आवश्यकता हो बताना। शेष मिलने पर।
तुम्हारा बड़ा भाई
भानु