दिल्ली परिवहन के महाप्रबन्धक के नाम एक पत्र लिखिए, जिसमें बस के कंडक्टर के अभद्र व्यवहार की शिकायतें की गई हो।
सेवा में,
श्रीमान् प्रबन्धक महोदय,
दिल्ली परिवहन निगम,
दिल्ली।
मान्यवर,
लगभग प्रतिदिन दैनिक समाचार-पत्रों में दिल्ली परिवहन के ड्राइवरों व कंडक्टरों के अभद्र व्यवहार की शिकायतें पढ़ने को मिलती हैं। दिल्ली की जनता इन ड्राइवरों व कंडक्टरों के द्वारा अपमानित होने पर भी अपनी आर्थिक विवशता के कारण दिल्ली परिवहन की बसों का उपयोग करती है।
मैं आपका ध्यान एक ऐसी ही शिकायत भरी घटना की और दिलाना चाहता हूँ। कछ दिन पहले मैं पहाड़गंज से पंजाबी बाग जाने के लिए बस नं. 952 पर सवार हुआ। डाइवर ने अपने स्वभाव के अनुसार बस स्टाप से काफी दूर जाकर बस रोकी। अभी दो सवारियाँ उत्तरी ही नहीं थी कि कंडक्टर ने चलने की घंटी दे दी। मैं सौभाग्यशाली था कि भागकर चलती बस पर चढ़ पाया और शेष यात्री मुँह ताकते रह गए। जब मैंने इस बात की शिकायत कंडक्टर से की, तो वह मुझसे बड़े से अपमानजनक ढंग से बोला।
कंडक्टर के अभद्र व्यवहार का यह सिलसिला पंजाबी बाग तक चलता रहा। बड़े-बूढ़ों के साथ बे-अदबी बरतना, औरतों को अश्लील व्यंग्य कसना और नौजवानों के साथ अपनी ऐंठ दिखाना मानो उस कंडक्टर ने अपना जन्मसिद्ध अधिकार बना रखा था।
एक जनसेवक को जनता के साथ ऐसा व्यवहार शोभा नहीं देता। मेरा आपसे अनुरोध है कि आप अपने बस कर्मचारियों के लिए ऐसी आचार-संहिता बनाए, जिससे वे जनता । के साथ मानवीय व्यवहार करें। इस सम्बन्ध में दोषी कर्मचारियों को दंडित भी करें।
भवदीय,
क. ख. ग.
दिनांक : 12 सितम्बर, 1999