बिजली संकट से उत्पन्न कठिनाइयों के सम्बन्ध में सम्पादक को पत्र
प्रतिष्ठा में।
श्रीयुत सम्पादक महोदय,
दैनिक हिन्दुस्तान,
नई दिल्ली 110001
महोदय,
आपका सर्वप्रिय समाचारपत्र जनता की धड़कन बन चुका है। हर वर्ग के लोग इसके आगमन की प्रतीक्षा में रहते हैं। यह जनता की आवाज़ देश के कर्णधारों तक पहुँचाने में सक्षम है। यह अधिकारियों । को सचेत कर जनता की असुविधाओं को दूर कराता है। आज मैं भी इसके माध्यम से पाठकों एवं सम्बन्धित अधिकारियों का ध्यान बिजली संकट से उत्पन्न विकट परिस्थिति की ओर दिलाना चाहता हूँ।
बिजली आज के युग में हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गई है। इस की नित्य की कटौती हमारे लिए भारी परेशानी का कारण बनी हुई है। जहाँ गर्मियों के दिनों में बिजली का गुल हो जाना, जीना दूभर कर देता है, वहाँ परीक्षा के दिनों में इस का आँख-मिचौनी खेलना परीक्षार्थियों के लिए अभिशाप बन जाता है। इतना ही नहीं, इसकी कटौती या बंद हो जाने से औद्योगिक संकट भी बढ़ जाता है। उत्पादन में कमी आ जाती है और खपत वैसी ही बनी रहती है। ऐसी स्थिति में चीजों के दाम आसमान को छूने लग जाते हैं। इसके बंद होने का असर कृषि पर भी पड़ता है। टयूब वैल न चल पाने से खेतों की सिंचाई नहीं हो पाती है। इसका फल उपज पर पड़ता है। इस तरह यह जीवन के हर क्षेत्र में उपयोगी बन चुकी है।
इस बिजली संकट से बचाने के लिए अधिकारी वर्ग धनवानों से गर्मियों में वातानुकूलित न चलाने की अपील करता है, तो कभी पृथक्-पृथक् क्षेत्रों में कुछ घंटों के लिए बिजली कटौती की घोषणा। मेरा सुझाव इस सम्बन्ध में यह है कि यदि अधिकारी वर्ग उन कारखानों पर अंकुश रखे, जो बिजली स्वीकृत वितरण से अधिक उपयोग करते। हैं, तो निश्चय ही इस समस्या का समाधान हो सकता है।
सधन्यवाद,
भवदीय,
क ख ग