बहन को परीक्षा में असफल होने पर सहानुभूतिपूर्ण पत्र।
216 कुतुब रोड,
दिल्ली।
16 जून, 200…
स्नेह भगिनी लता,
चिरंजीव रहो।
आज ही माता जी का पत्र प्राप्त हुआ। यह जानकर अति दुःख हुआ कि इस बार तुम वार्षिक परीक्षा में असफल रही हो। इस पर तुमने भी निराशा अनुभव की होगी, परंतु इसमें निराशा का कोई विशेष कारण नहीं है। लगातार तीन महीनों की अस्वस्थता का पढ़ाई पर प्रभाव पड़ना ही था।
अपने मन में जरा-भी ग्लानि अनुभव न करो तथा अबकी बार स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए अधिक परिश्रम तथा नियमित पढ़ाई करो। परिश्रम करना मनुष्य का कर्तव्य है। फल देना ईश्वर का काम है।
अब तुम्हें निराशा छोड़, धैर्य और लगन के साथ परीक्षा की तैयारी में जुट जाना चाहिए। मुझे आशा ही नहीं, विश्वास है कि तुम पढ़ाई में मन लगाकर उत्तम अंक प्राप्त करोगी तथा गत वर्षों की भात अगले वर्ष भी प्रथम श्रेणी प्राप्त कर माता-पिता के नाम को उज्ज्वल करोगी।
पूज्य पिताजी को चरण वंदना तथा टोनी को शुभाशीर्वाद।
तुम्हारा बड़ा भाई,
विजय शर्मा