Hindi Essay, Story on “Yah Hai To Vah Kyo, Vah hai to yah kyo ”, “यह है तो वह क्यों, वह है तो यह क्यों?  ” Hindi Kahavat

यह है तो वह क्यों, वह है तो यह क्यों? 

Yah Hai To Vah Kyo, Vah hai to yah kyo

 

एक स्त्री का पति मर गया। उसके एक दस साल का लड़का था। स्त्री चंचल स्वभाव की थी। कुछ सज-धजकर रहती। आंखों में काजल-सुरमा सारती, और विधवा होने के नाते लोगों में प्रशंसा पाने या निन्दा से बचने के खयाल से कुछ जप (पूजा-पाठ) करना भी उसके लिये जरूरी था। इसलिए हाथ में हमेशा माला लिये रहती। उसका लड़का कुछ समझदार हो चला था। अपनी मां के संबंध में लोगों की चर्चा-वार्ता सनता तो उसे तकलीफ होती। एक दिन वह अपनी मां से पूछ बैठा, “मां, यह माला है तो यह काजल क्यों, और काजल है तो यह माला क्यों?”

तात्पर्य यह कि भोग और योग दोनों का मेल नहीं बैठता।

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