Hindi Essay, Story on “Vah Pani Multan Gya”, “वह पानी मुलतान गया” Hindi Kahavat for Class 6, 7, 8, 9, 10 and Class 12 Students.

वह पानी मुलतान गया

Vah Pani Multan Gya

अक्सर लोगों को बोलते सुना जाता है, “वह पानी तो मुलतान गया।”-यानी मौका निकल गया, बात हाथ से जाती रही। लेकिन इस कहावत का ठीक मतलब समझने के लिये इसके पीछे कहानी जाननी जरूरी है।

गोरखनाथ गुरु नहीं हुए थे, तबकी बात है। वह एक बार रैदास भगत के यहां सत्संग के लिये गये। प्यास लगी थी, पानी मांगा। लेकिन बाद को यह खयाल आ जाने पर कि रैदास तो चमार है, पानी कमंडल में ले तो लिया, पीया नहीं। वहां से कोस दो कोस दूर कबीरदास ठहरे हुए थे। गोरखनाथ अपना कमंडल लिये वहां पहुंचे। कबीरदास ने कमंडल की ओर इशारा करके पूछा, “आप पानी लिये कहां फिर रहे हैं?”

गोरखनाथ ने बात बताई। कबीर की लड़की कमाली भी खड़ी यह सब सुन रही थी। वह रैदास भगत के अलौकिक प्रभाव के बारे में सुन चुकी थी। अपने पिता से भी उसने उनकी बहुत तारीफ सनी थी। उसके मन में आया, उसने उठाया कमंडल और सारा पानी पी गई। तत्काल ही उसमें एक परिवर्तन आ गया। वह बड़े ऊंचे स्तर से बोलने लगी, उसके मुख से मानो ज्ञान का गंगा बहने लगी। उस पानी का यह प्रभाव देखकर गोरखनाथ दौड़े रैदास भगत के यहां पहुंचे। बोले, “थोड़ा पानी पिलाने की कृपा कीजिए।”

इसी समय कमाली पति के साथ अपने ससुराल मुलतान चली गई। रैदास ने अपनी दिव्यदृष्टि से सब देखा और कहा,

प्यावे हे (थे) जब पिया नहीं,

तब तुमने बहु अभिमान किया।

भूला जोगी फिरे दिवाना,

वह पानी मुलतान गया।

गोरखनाथ पछताकर रह गये।।।

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