तुनतुनी बजाते मियां, खाते शक्कर घी,
नौकरी की ऐसी तैसी, जिसमें जावे जी।
किसी चमार के पास आधा बीघा खेत था, उसमें बड़ी मुश्किल से गुज़र होता। चमार चालाक था, योगी बन गया, तुंबड़ी बजाता और मांगकर खाता। उसमें किसी तरह कट जाती थी। पर एक जगह फौज की भर्ती शुरू हुई। ज्यादा पैसों के लालच में उसने मजदूर-पलटन (लेबर कोर) में नाम लिखा लिया और लाम पर चला गया। वहां गोलियां बरसनी शुरू हुई तो भगत घबराये। उस पल्टन में उसके गांव का ही एक पठान सिपाही था, जो इसका सब कच्चा चिट्ठा जानता था। वह बोला :
तुनतुनी बजाते मियां, खाते शक्कर घी,
नौकरी की ऐसी तैसी, जिसमें जावे जी।
भगत बोला, दादा, कबीरदास ने ठीक कहा है :
बनिज करे तो टोटा आए, बैठ खाय धन छीजे,
कहें कबीर सुनो भाई साधो, मांग खाय सो जीते।