सुतलेक भैंस पड़वा बिआले
Sutlek Bhens Padva Biyale
किसी गांव के दो ग्वाले अपनी भैंसें साथ-साथ चराया करते थे। एक ही रात को दोनों की भैंसें ब्याने को हुई। चरवाहों में एक, जो आलसी था, अपने साथी से बोला, “भाई, मैं थोड़ा सो लेता हूं, मेरी भी भैंस ब्याए तो तुम संभाल लेना।”
दूसरे ने कहा, “ठीक है, सोओ।”
संयोगवश दोनों की भैंसे एक ही वक्त ब्याईं। सोनेवाले की पाड़ी और जागनेवाला का पाड़ा। जागनेवाले ने झटपट अपनी भैंस का पाड़ा सोनेवाले की भैंस के नीचे किया और पाड़ी अपनी भैंस के नीचे लगा ली।
सोनेवाला जब उठा, अपनी भैंस के पास गया जो देखकर बोला, “क्या कहूं यार, मेरी भैंस तो पाड़ा लाई।” दूसरा बोला “सोते का कटरा ही ब्याती है भाई।”-यानी सोनेवाले की (बेखूबर की) पाडा ही जनती है।
इसने इशारे में असलियत जाहिर कर दी। पर पहले ने शब्द ही पकड़े, भाव नहीं। लेकिन उसके साथी का मतलब उसे यह समझा था कि
“सोवे सो खोवे, जागे सो पावे।” इस कहावत के और रूप भी हैं।