पंचों का कहना सिर माथे, परनाला यहीं गिरेगा
Pancho Ka Kahna Sir Mathe
एक आदमी के आंगन में पड़ोसी का परनाला गिरता था। उसने पड़ोसी से बहुत कहा-कहाया, आरजू-मिन्नत की, पर पड़ोसी ने एक न मानी। इस पर उसने गांव की पंचायत में दरखास्त दी। पंचों ने उसके पड़ोसी को बुलाकर कहा, “तुम अपने परनाले का रुख दूसरी ओर फेर लो तो तुम्हारा कोई हर्ज नहीं है। तुम्हारे पानी से इसका आंगन गंदा रहता है। इसमें तुम्हारा जो खर्च होगा वह इससे दिला देंगे।”
पड़ोसी दुष्ट स्वभाव का था। बोला, “आप लोग जो कहते हैं सब ठीक “पंचों का कहना सिर-माथे परनाला यहीं गिरेगा।”