नौ दिन चले अढ़ाई कोस
Nau Din Chale Adhai Kos
किसी ने एक पोस्ती’ पर एक मिसरा कहा, “पोस्ती ने पी पोस्त, नौ दिन चले अढ़ाई कोस।”
अफीमची बोला, “जनाब, वह असली पोस्ती न होगा, डाक का कोई हरकारा होगा। पोस्ती का तो कौल होता है:
“मर जाता, पै कहीं उठके जाना नहीं अच्छा,
मर्दो का हाथ–पैर हिलाना नहीं अच्छा।“