मोची मोची लड़ाई होय, फाटे राजा कै जीन
Mochi Mochi Ladai Hoye, Phate Raja ke Jeen
किसी राजा के यहां घोड़े की एक जीन की मरम्मत होनी थी। उसके लिये मोची बुलाया गया। एक ने आने में असमर्थता बतलाई तो दूसरे को बुला लिया गया। संयोग से पहला भी आ गया। अब कौन मरम्मत करे? पहला कहे मैं, दूसरा कहे मैं। दोनों जीन को अपनी-अपनी ओर खींचने लगे। बजाय मरम्मत के जीन और ज्यादा फट गई। इस पर राजा के रिसालदार ने दोनों मोचियों की खूब मरम्मत करवाई। जीन तो उनसे मरम्मत करवाई ही, और बिना कुछ पैसे दिये दोनों को वहां से निकलवा दिया।
इसी तरह की एक कहावत है “जोगी लड़ें, खप्परों का नास।”