Hindi Essay, Story on “Mera To Lag Gya Hai”, “मेरा तो लग गया है” Hindi Kahavat for Class 6, 7, 8, 9, 10 and Class 12 Students.

मेरा तो लग गया है

Mera To Lag Gya Hai

 

एक बनिया परदेश कमाने चला। साथ एक ब्राह्मण भी हो लिया, जो रसोई बनाना जानता था। बनिये ने कहा, “जब तक मेरा कोई रोजगार न लगेगा तब तक तो मैं तुझे कुछ महीना वगैरा न दे सकूँगा-सिर्फ खाना-कपड़ा दूंगा। रोजगार लगने के बाद वेतन की बात देखी जाएगी।” …

पहले ही पड़ाव पर ब्राह्मण ने सामान लाने को दो रुपए मांगे।

“क्या-क्या लाना है?”

“आटा, घी, चीनी, दाल, तरकारी, मसाला, लकडी।”

“क्या बनाओगे?” “दाल-चूरमा।”

बनिये ने कहा, “दाल-चूरमा तो तब खायेंगे जब रोजगार लग जाएगा, अभी तो दाल रोटी ही बनने दो। जाओ, डेढ़ रुपया ले जाओ।”

ब्राह्मण ने और सब सामान दो आदमियों भर का लिया। अपने लिये आठ आने का घी-चीनी अलग ले लिया।

जब बनिया खाने बैठा तो उसे दाल, रोटी, तरकारी परस दी। बनिये ने देखा एक छन्नी (रकाबी) में चूरमे के चार लड्डू रखे हैं। सोचने लगा, इसे मना कर दिया था फिर भी इसने चूरमा कैसे बनाया? पूछा तो ब्राह्मण ने कहा,

“वे लडडू मैंने आपके लिए थोड़े ही बनाए हैं, वे तो अपने लिये बनाये हैं।”

“कैसे?”

“आपने तो कहा था कि रोजगार लग जायगा तब चरमा खाएंगे। तो आपका लोगा तब आपके लिये बनाऊंगा, पर मेरा तो आपके यहां लग ही गया है।”

बनिया चुप रहा।

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