लड़का भुलाता था
Ladka Bhulta Tha
एक दिन बादशाह को किसी जरूरी सलाह के लिये बीरबल की बहुत जरूरत थी। नित्य के नियत समय पर बीरबल के दरबार में न पहुंचने पर उन्हें बुलाने को आदमी भेजा।
बीरबल ने कहा, “बादशाह से जाकर कहो कि बीरबल लड़का भुला रहा है, थोड़ी देर में आता है।”
जब थोड़ी देर में बीरबल न पहुंचा तो बादशाह का आदमी फिर आया। इस बार भी बीरबल ने वही जवाब दिया। तीसरी बार के बुलाने पर बीरबल गया तो बादशाह को बहुत नाराज पाया। बादशाह ने कहा, “लड़का भुलाने में इतनी देर लगती है?”
“हुजूर, लड़का भुलाना बड़ा मुश्किल काम है।”
“कुछ नहीं, लाओ कोई लड़का, में अभी भुलाए, देता हूं।”
“हुजूर तुरत मचला हुआ लड़का कहाँ मिलेगा, थोड़ी देर के लिये हुजूर के सामने ही लड़का बन जाता हूँ। हुजूर, तो सबके मां-बाप है। आप मुझे भुला दीजिए।”
“अच्छा, बनो लड़के।” बीरबल ‘ॐ’ करके ठिनटिनाने लगा। बादशाह ने पूछा, “क्या चाहते हो?” “हाथी लूंगा।”
बादशाह के यहाँ हाथियों की क्या कमी थी। हाथी आ गया। फिर भी बीरबल का ठिनठिनाना जारी ही रहा।
बादशाह ने पूछा, “अब क्या चाहिए?” “कुल्हिया।”
कुम्हार के यहां से एक मिट्टी की कुल्हिया तुरंत आ गई। फिर भी ठिनठिनाना दूर नहीं हुआ। तब बादशाह ने पूछा,
“अब?” “इस हाथी को इस कुल्हिया में डाल दो।”
बादशाह ने कहा, “बीरबल तुम कैसी नादानी की बात करते हो? भला. कुल्हिया में कहीं हाथी समा सकता है?”
बीरबल ने कहा, “हुजूर, आप यह क्यों भूल जाते हैं कि मैं इस समय लड़का बना हुआ हूं। लड़कों से समझदारी की उम्मीद रखना तो एक हिमाकत ही है। कब, क्या बात उसके दिमाग में आएगी, इसका कोई ठिकाना नहीं रहता। इसलिए मैंने हुजूर से पहले कहा था कि लड़का भुलाना मुश्किल काम है।”
बादशाह को बीरबल की बात माननी पड़ी।