Hindi Essay, Story on “Kandhe Dhanush Hath me Bana”, “कांधे धनुष हाथ में बाना” Hindi Kahavat for Class 6, 7, 8, 9, 10 and Class 12 Students.

कांधे धनुष हाथ में बाना, कहां चले दिल्ली सुलताना

Kandhe Dhanush Hath me Bana

 

कोई धुनिया अपनी धुनकी, घोंटा, कमान, छड़ी लिये जंगल के रास्ते से कहीं जा रहा था। राह में उसे एक गीदड़ मिला, जो किसी नील के माट में गिरकर तुरंत बाहर निकला था। गीदड़ ने धुनिये को शिकारी समझकर ऊपर की बात कही। धुनिये ने गीदड़ को चीता समझकर कहा-

बनके राव, विकटके राना।

बड़नकी बात बड़े पहिचाना।

धोखे में आकर अक्सर लोग एक दूसरे को बड़ा मान बैठते हैं।

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