जानवर ही तो था
Janwar Hi To Tha
एक काजी ने अपना बैल किसी तेली को पालने को दिया। तेली ने काजी की खुशामद में उनके बैल को अपने बैल से भी ज्यादा भूसा-खली खिलाकर खूब मोटा-ताजा किया। एक दिन काजी का बैल तेली के बैल से लड़ गया और उसे पटक दिया। तेली का बैल मर गया। किसी ने जाकर काजी को उल्टे यह जड़ा कि आपके बैल को तेली के बैल ने मार डाला। काजी ने तुरन्त तेली को तलब किया और बिना उसे सुने ही लाल किताब के मुताबिक हुक्म सुना दिया-
लाल किताब उठ बोली यों,
तेली बैल लड़ाया क्यों।
खल खिला-खिला के किया मुसंड,
बैल का बैल और डंड का डंड।
यानी, मेरा बैल भी दे और दंड भी दे।
तेली ने प्रार्थना की, “साहब, किसी ने आपको गलत खूबर दी है। मेरे बैल ने नहीं, बल्कि आपके बैल ने ही मेरे बैल को मार डाला।”