Hindi Essay, Story on “Jag Jeet Liyo Mori Kani”, “जग जीत लियो मोरी कानी” Hindi Kahavat for Class 6, 7, 8, 9, 10 and Class 12 Students.

जग जीत लियो मोरी कानी

Jag Jeet Liyo Mori Kani

किसी बनिये के एक कानी लड़की थी। उसे इसकी शादी की बड़ी परेशानी थी। उस जमाने में नाई, और बहुत हुआ तो ब्राह्मण देवता ही शादी का काम निपटाते थे। ऐसे सौदे पटाने में नाई ज्यादा होशियार समझा जाता। बनिये ने एक नाई को वर की तलाश में बाहर भेजा। रास्ते में उसे एक दूसरा नाई मिला, जो अपने यजमान के लडके के लिए लडकी की खोज में था। फिर क्या था. दोनों ने अपनी-अपनी कही-सनी और बात पक्की कर ली। अपने ठिकाने पर पहुंचकर वहां लड़के, लड़की और समधी की तारीफों के खूब पुल बांधे। दोनों ओर से संबंध पक्का हो गया। निश्चित समय पर बारात दुलहिन के घर पहुंची। भांवर की रस्म में वर और कन्या को अग्नि के चारों ओर सात बार घूमना पड़ता है। वर पक्षवालों ने कहा, “हमारे यहां, वर नहीं. अकेले कन्या के ही घमने की रीति है।”

कन्या पक्ष तो सब तरह से दबा हुआ ही होता है, और वहां तो लडकी के कानी होने के कारण और भी कमजोरी थी। डर था कि कहीं भेद न खुल जाय और व्याह में विघ्न पड़ जाय इसलिए वर पक्ष की हर शर्त मानने को कन्या पक्ष मजबूर था। वैसे तो पर्दे के रिवाज के कारण लड़की के मुंह पर चूंघट होने से उसके कानी होने का पता चलना विशेष संभव न था, लेकिन जब कन्या अग्नि के चारों ओर परिक्रमा कर चुकी तब कन्या पक्ष की नाइन जो “गौनहरियों (गानेवालियों में) थी, खुशी में आकर गाने लगी, “जग जीत लियो मोरी कानी।” इस बीच वर पक्ष नाई ने सारा किस्सा ताड लिया। उसने पास बैठी नाइन को सुनाकर कहा, “वर ठाढ़ होय तब जानी,” वर लंगड़ा था। अब तक तो कन्या पक्ष वाले समझ रहे थे कि हमने वर पक्ष को बेवकूफ बनाया, और वर पक्ष वाले समझ रहे थे कि हमने कन्या पक्ष को चकमा देकर लंगड़ा लड़का उनके गले मढ़ दी, पर अब दोनों को मालूम हो गया कि “जैसे को तैसा मिल गया।”

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