Hindi Essay, Story on “Is Murde ke Pile Paav”, “इस मुर्दे के पीले पांव” Hindi Kahavat for Class 6, 7, 8, 9, 10 and Class 12 Students.

इस मुर्दे के पीले पांव

Is Murde ke Pile Paav

एक नगर में चार चोरों ने मिलकर वहां के राजा के खजाने में चोरी करने की ठानी। किसी तरह वे अन्दर पहुंच गए। वहां देखते क्या हैं कि सोने की ईंटें सजी रखी हैं। पर इनको लेकर बाहर निकला कैसे जाय ? ईंटें बहुत भारी थीं और बाहर कड़ा पहरा था। उन चारों में एक चोर बहुत चालाक था। वह बोला, “कहीं से एक बांस मिल जाय तो हमारा काम बन जाय।”

इधर-उधर से एक बांस खोजा गया। उसे काट-छांटकर चोरों ने एक ‘अरथी’ (मुर्दा ढोने की टिकठी) बनाई, उस पर सोने की ईंटें सजा ली। ऊपर से इस ढंग से एक कपड़ा डाला, मानो अन्दर मुर्दा हो! अरथी को कन्धों पर उठाकर “राम राम सत्य है”, “गोपाल नाम सत्य है”, पुकारते निकले।

पहरे का सिपाही बड़ा चालाक था और पक्का घूसखोर भी। उसने इशारे में कहा, “इस मुर्दे के पीले पांव।”

चोरों ने समझ लिया कि सिपाही सब भांप गया है। उसी चालाक चोर ने कहा, “माथो कूटतो तू बी आव”, यानी मर्दे के स्वांग को सही उतारने के लिए कपाल पीटते हुए तुम भी चले आओ-तुम्हारा भी हिस्सा लग जायगा।

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