देखना है ऊँट किस करवट बैठता है
Dekhna Hai Unth Kis Karvat Baithta Hai
काइ कुंजड़ा और कुम्हार गांव में पास-पास रहते थे। बाजार में दोनों को अपना मान बेचने ले जाना था। दोनों ने एक ऊँट साझे में किराये किया और एक एक तरफ अपना-अपना सामान लादा। रास्ते में, जाते-जाते बीच में ऊँट अप लम्बी गर्दन घुमाकर कुंजड़े के सागपात में से कुछ खींच लेता। इस पर कहा हंसता। कुंजड़ा कहता, “चलो देखना है, ऊँट किस करवट बैठता है।”
बाजार में पहुंचकर बैठाए जाने पर ऊँट बोझवाली करवट बैठा। बरतनों के कारण वह करवट भारी थी। कुम्हार के बहुत-से बर्तन चूर-चूर हो गये। कंजड़े ने कुम्हार की हंसी का पूरा बदला चुका दिया।