चोर की दाढ़ी में तिनका
Chor Ki Dadhi Mein Tinka
किसी काजी के इजलास में एक मुकदमा चोरी का आया। पुलिस ने शक में कई आदमियों को पकड़कर हाजिर किया। काजी सबूतों से न समझ पाए कि इनमें असली चोर कौन है? उन्हें एक तरकीब सूझी। बोल उठे, “चोर की दाढ़ी में तिनका।”
उनमें से एक आदमी, जो दरअसल चोर था, यह खयाल करके कि दाढ़ी में कोई तिनका हो तो निकाल दूं, अपनी दाढ़ी टटोलने लगा। ज्यादा सोच-समझ न सका, क्योंकि चोर के मन में डर रहता ही है और उस डर की वजह से चोर का चेहरा उतर जाता है। उसी डर में वह कोई ऐसी कार्रवाई भी कर बैठता है कि जिससे उसका चोर होना सिद्ध हो जाता है। यही बात इस चोर के साथ हुई। काजी साहब ने तो योंही एक तीर फेंका था, पर वह ठीक निशाने पर लग गया।