Hindi Essay, Story on “Baniye ka Beta Kuch Dekhkar Hi Girta Hai”, “बनिये का बेटा कुछ देखकर ही गिरता है”

बनिये का बेटा कुछ देखकर ही गिरता है

Baniye ka Beta Kuch Dekhkar Hi Girta Hai

एक बनिये का लड़का सिर पर तेल की हांड़ी रखे बाजार में से जा रहा था। एक जगह वह गिरा तो हांडी फूटकर सारा तेल सड़क पर पसर गया। किसी ने बनिये से जाकर कहा, “तुम्हारा लड़का आज रास्ते में गिर गया और तेल की हांडी फूट गई।”

बनिया बोला, “बनिये का लड़का यों गिरनेवाला नहीं है, कुछ देखकर ही गिरा होगा।”

घर आने पर बाप ने उससे पूछा तो पता चला कि रास्ते में एक अशरफा देखकर वह उस पर गिरा था, इस खयाल से कि यों झककर अशरफी उठान में कोई देख लेगा। अशरफी पर गिरा और चपके से उसे अंटी में कर लिया।

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