आंधी के वास्ते पैसे का तेल जलाना
Andhi ke Vaste paise ka Tel Jalana
इस कहावत का मतलब है, कम फायदे के पीछे अधिक नुकसान सहना। यह कहावत बनियों पर कही गई है। उनके हिसाब में एक पैसे का भी फरक रह जाय तो उसे निकालने को घंटों लगा देते हैं। दिन में बनियों को फुर्सत कहां, यह लिया और वह बेचा में ही लगा रहता है। रात उसकी अपनी होती है, सोए, न सोए, खुशी उसकी। उस समय बैठकर वह हिसाब मिलाता है और कभी-कभी रोकड़ के जरा से फर्क के लिए घंटों तेल जलता रहता है।
इस कहावत के साथ एक अफीमची की कहानी और है-
लखनऊ में एक अफीमची मियां हलवाई के यहां से रात को दोने में रेवड़ी खरीदे लिए जा रहे थे। दोने में-से दो रेवड़ियां गिर गई। उन्हें वह चिराग लेकर दंढने लगे। राहियों में से एक ने पूछा
“मियांजी, बड़ी देर से आप क्या खोज रहे हैं?” मियांजी बोले, “दो रेवड़ियां गिर गई हैं, दोस्त।”
“आपने तो एक अद्धी (अधेले) की रेवड़ियों के लिए कई पैसे का तेल जला डाला होगा। इसी पैसे की और रेवड़ियां ले आये होते?”
अफीमची बोला, “भाईजान, मझे पैसे का फिक्र कतई नहीं, अंदेशा सिर्फ इस बात का है कि बेदर्द के हाथ रेवड़ियां पड़ जायंगी तो उन्हें वह एकदम खट से चबा डालेगा!”