Hindi Essay, Story on “Aata ho to Haath se na Dijiye”, “आता हो तो हाथ से न दीजिये” Hindi Kahavat for Class 6, 7, 8, 9, 10 and Class 12 Students.

आता हो तो हाथ से दीजिये

Aata ho to Haath se na Dijiye

 

किसी व्याध ने जंगल में एक तीतर फंसाया। पक्षी ने सोचा–यह पापी जान छोड़ेगा तो नहीं, पर बचने को अक्ल लगा देखनी चाहिए।

उसने व्याध से पूछा, “तुम मेरा क्या करोगे? मान लो कि बेचो, तो मुश्किल से मेरे चार पैसे उठेंगे। मारोगे तो सिर्फ पंख-ही-पंख हाथ लगेंगे। पालो, तो भी एक-न-एक दिन मृत्यु हमारा वियोग करा ही देगी। लेकिन, तुम मुझे छोड़ देने का वादा करो तो मैं तुम्हें तीन ऐसी नसीहतें बतला सकता हूं कि एकएक का मोल लाख-लाख रुपया है।”

व्याध ने कहा, “बतलाओ, मैं तुम्हें जरूर छोड़ दूंगा।”

तीतर बोला :

पहली नसीहत- सुन, बात कोई हजार सुनाए।

कीजिए वही, जो समझ में आए।

दूसरी नसीहत- क़ाबू हो तो कीजिए न ग़फलत।

आफत में हों तो हारिए न हिम्मत॥

तीसरी नसीहत- आता हो तो हाथ से न दीजिए।

जाता हो तो उसका ग़म न कीजिए।

व्याध ने ज्यों ही “जाता हो तो गम न कीजिए” सुना कि तीतर को छोड़ दिया।

वह उड़कर पेड़ पर जा बैठा और बड़ी आजादी से व्याध से कहने लगा, ‘मैंने जो तीन नसीहतें तुझे बतलाई हैं, उनके उदाहरण भी दे देना चाहता है। देख, मैं कैसी आफत में था, पर मैंने हिम्मत न हारी और अपनी बातों के बल पर तेरे चंगुल से छुटकारा पा लिया। तू गफलती अभागा है कि बातों में आकर मेरे जैसे अमूल्य पक्षी को छोड़ दिया। मेरे पेट में एक लाख कीमत का एक लाल है।”

इस पर बहेलिया अफसोस से हाथ मलने लगा। उसने तीतर को फिर पकडना चाहा। पर वह उड़कर पेड़ की ऊपरी टहनी पर जा बैठा और बोला, “मुर्ख, तू मेरी पहली नसीहत पर ध्यान देता तो मेरी बातों में न आता और दूसरी पर ध्यान देता तो मुझे छोड़ता ही नहीं। अब जरा अक्ल से काम ले कि तीतर के पेट में लाल कहां से आ गया! मेरी बातों में आकर तूने मुझे छोड़ दिया और फिर मेरी ही बात से मुझे पकड़ने को खडा हो गया। अपनी अक्ल से काम लेना सीख। जो कोई कुछ कहेगा, उसी पर चलने लगेगा तो कभी पार न लग सकेगा।”

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