आपसे आये तो आने दे
Aapse Aaye To Aane De
एक काजी के घर पड़ोसी की मुरगी चली गई। घरवालों ने मुरगी को मारकर पका डाला। घर आने पर काजी यह माजरा सुनकर बीबी पर बहुत बिगड़े। बीबी बोली, “अब तो कसूर हो ही गया। कहिए तो फेंक दूं, लेकिन उसमें घर का जो घी-मसाला लगा है, वह फिजूल जाएगा।”
घर का नुकसान काजी को मंजूर न था। बोले, “अच्छा, मैं रोटी सिर्फ दो से खा लूंगा, बोटी से मेरा कोई सरोकार न होगा।” उनकी लड़की जब डोन पिता के प्याले में डालने लगी तो बोटी भी आने लगी। लड़की ने बोटी चार से रोक ली। काजी बोले, “अरी पगली, आपसे आये तो आने दे।” बीबी सन रही थी। बोली, “मुर्गी को क्या मैं न्यौता देने गई थी, वह भी तो आपसे ही आई थी!”
काजी ने कहा, “तब तो वह भी हलाल है।“
जो नहीं आता उसे तो जाने दीजिए।
आपसे आये तो आने दीजिए।
दूसरा रूप :
आता न छोड़े, जाता न मोड़े।