Hindi Essay, Story on “Aab-Aab kar mar gye, Sirhane rakha Pani”, “आब-आब कर मर गए, सिरहाने रखा पानी” Hindi Kahavat for Class 6, 7, 8, 9, 10 and Class 12 Students.

आबआब कर मर गए, सिरहाने रखा पानी

Aab-Aab kar mar gye, Sirhane rakha Pani

एक बनिया कमाई के लिए काबुल गया। वहां रहते-रहते फारसी बोलने लगा। पानी को ‘आब’ कहता। हिन्दुस्तान आकर भी अपनी फारसी की बान उसने न छोड़ी।

संयोग से वह घर पहुंचते ही बीमार पड़ा। बुखार की हालत में ‘आबआब’ चिल्लाता रहा। किसी ने समझा ही नहीं कि क्या चाहता है। वह प्यासाका-प्यासा ही मर गया। पूरा मिसरा है।

काबुल गए बानियां, सीखी मुगलिया बानी।

आबआब कर मर गए, सिरहाने रखा पानी॥

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