वर्षा ऋतु
Rainy Season
“है वसंत ऋतुओं का राजा वर्षा ऋतुओं की रानी।
सबकी प्यास बुझाने आती, भर-भर लाती पानी।।”
भूमिका-वसंत यदि ऋतुराज कहलाता है, तो वर्षा ऋतुओं की रानी। छः ऋतुओं वाले इस भारत देश में वर्षा ऋतु का अपना विशेष महत्व है। इस ऋतु के आगमन पर किसान आकाश पर आँखें लगाए बैठे होते हैं। झुलसाने वाली गर्मी से जब सब जीव त्राहि-त्राहि करने लगते हैं, नदियों और तालाबों का पानी सूख जाता है, तब धरती की तपन बुझाने के लिए बादल शीतल जल से अपनी झोली भा कर लाते हैं और कण-कण को शीतलता प्रदान करते हैं।
समय-गर्मी के शीघ्र बाद, सावन और भादों मास वर्षा ऋतु के हैं। इस ऋतु में बादल छाए रहते हैं तथा बिजली की गड़गड़ाहट और ठंडी-ठंडी बौछारें बहुत सुहावनी लगती हैं। .
ऋतुओं की रानी-कवियों ने वर्षा को ऋतुओं की रानी कहा है। इस ऋतु में बच्चे गर्मी में तपती लू से निकलकर वर्षा के पानी में नहाते-गाते आनंद लेते दिखाई देते हैं।
वर्षा का दृश्य-इस ऋतु में चारों तरफ पानी का साम्राज्य होता है। जहाँ तक नज़र जाती है.. पानी ही पानी दिखाई देता है। कभी बादल छाए होते हैं। रिमझिम बूंदें पड़ने लगती हैं। बच्चे हों. बडे हों, सब झूमते दिखाई देते हैं। हरियाली से धरती हरी-भरी मखमली-सी लगती है। तालाबों के किनारे मेंढक दिखाई देते हैं। वर्षा की शीतल फुहारों से मन मयूर नाच उठता है। इन फुहारों को देख कर मन कह उठता है “वर्षा रानी ज़रा जम के बरसो, थम के बरसो।”
लाभ-वर्षा किसान के लिए धनदायिनी है। वर्षा है तो किसान सुखी है, अन्यथा किसान का प्रयत्न निष्फल समझो। वर्षा से ही खेतों को जीवन मिलता है तथा अन्न उत्पन्न होता है। धान की फसल तो वर्षा के अभाव में हो ही नहीं सकती। यदि अनाज अधिक होगा तो देश आत्मनिर्भर होगा, महँगाई का प्रकोप नहीं रहेगा, भुखमरी नहीं फैलेगी। इस प्रकार वर्षा देश की उन्नति में बहुत सहायक है।
वर्षा से नदियों और तालाबों में जल एकत्र होता है। एकत्रित पानी सिंचाई के काम में लाया जाता है। देश के उत्पादन का आधार, विद्युत भी वर्षा के जल से बनाई जाती है। हरी-भरी घासबिना प्रयत्न के ही उग आती है। इस प्रकार पशुओं के हरे चारे की समस्या नहीं रहती है।
हानियाँ-यद्यपि वर्षा ऋतु के अभाव में जनता त्राहि-त्राहि करने लगती है, तथापि इसके आगमन पर अनेक समस्याएँ भी जन्म लेती हैं। इस ऋतु में अनेक जीव-जंतु पैदा हो जाते हैं, छोटे-छोटे मच्छर,, कीड़े-मकोड़े नाक में दम कर देते हैं, जिनके कारण अनेक बीमारियाँ फैल जाती हैं।
अधिकता किसी भी चीज की अच्छी नहीं होती है और वर्षा की अधिकता सबसे अधिक खतरनाक होती है। यदि वर्षा अधिक हो गई तो बाढ़ गाँव के गाँव नष्ट कर देती है। नदियों का पानी किनारों से बाहर निकल कर लोगों में त्राहि-त्राहि मचा देता है। इस प्रकार अधिक वर्षा अन्न-जल-धन की हानि का कारण बन जाती है।
वर्षा ऋतु के त्योहार-भारत में भाई-बहनों का प्रसिद्ध त्योहार रक्षाबंधन इसी ऋतु में ही मनाया जाता है। सावन मास में वृंदावन में हजारों यात्री वर्षा ऋतु की कृष्ण लीला देख जीवन धन्य बनाते हैं। जन्माष्टमी का त्योहार भी इसी ऋतु में ही मनाया जाता है।
उपसंहार-वर्षा ऋतु वास्तव में एक अद्भुत ऋतु है। भारत-भूमि के लिए तो यह एक वरदान है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में वर्षा ऋतु का होना बहुत आवश्यक है। किसान की जान वर्षा में ही है। उचित मात्रा में ही यह अत्यंत लाभकारी है। परमात्मा से यही कामना है कि अन्न का कारण वर्षा समय पर हो और अधिक न हो।