Hindi Essay, Paragraph, Speech on “My Favourite Book-Ramcharitmanas”, “मेरी प्रिय पुस्तक-रामचरितमानस”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students.

मेरी प्रिय पुस्तक-रामचरितमानस

(My Favourite Book-Ramcharitmanas)

भूमिका-साहित्य समाज का दर्पण है। साहित्य के अध्ययन के अभाव में मस्तिष्क निष्क्रिय हो जाता है अतः पुस्तक का उपयोग इस बात पर निर्भर करता है कि वह पाठक का मनोरंजन कराए तथा पढ़ने वाले का हित करे। रामचरितमानस में इस प्रकार के सभी गुण विद्यमान हैं।

भारतीय संस्कृति की धरोहर-रामचरितमानस मेरा ही नहीं, भारत की जनता का पावन आदर्श है। यह भारत की संस्कृति, नीति, सदाचार, गृहस्थ धर्म के ज्ञान का कोष है। इसी पुस्तक ने भारतीय नीति, मर्यादा और संस्कृति की रक्षा की है। यह हिंदुओं का धर्म ग्रंथ है।

मानस का नायक-तुलसीदास कृत रामचरितमानस के नायक मर्यादा पुरुषोत्तम राम हैं। इसमें राम को आज्ञाकारी पुत्र, आदर्श भ्राता, आदर्श मित्र और मर्यादा अनुसार चलने वाले राजा के रूप में दिखाया गया है।

आठ कांड-पुस्तक की विशेषता यह है कि पूर्ण कथा आठ भागों में विभाजित है। बाल कांड, अयोध्या कांड, अरण्य कांड, किष्किंधा कांड, सुंदर कांड, लंका कांड, उत्तर कांड तथा लव कुश कांड। इसमें राम के जन्म से लेकर सिंहासनारूढ़ होने तक की कथा को भावपूर्ण ढंग से वर्णित किया गया है।

मानस के पात्र-मानस के पात्र भारत की संस्कृति के आदर्श हैं। प्रत्येक पात्र अपनी विशेषता लिए हुए है। भरत और लक्ष्मण सरीखे भाई, हनुमान जैसा सेवक, सुग्रीव और विभीषण जैसे मित्र, सीता जैसी पतिव्रता, मनुष्य को अपने-अपने आदर्शों पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

भावपक्ष और कलापक्ष-मानस में कलापक्ष और भावपक्ष का अत्यंत ही सुंदर समन्वय हुआ है। आदर्श और भावना की दृष्टि से यह विश्व साहित्य की सर्वश्रेष्ठ रचना कही जा सकती है।

नौ रसों का समावेश-रामचरितमानस की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें नौ के नौ रसों का वर्णन किया गया है। इन सभी का स्वाभाविक वर्णन इस महान महाकाव्य की अपनी विशेषता मानस की कथा का आधार-मानस की कथा का आधार आदि कवि बाल्मीकि है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने राम की कथा का धर्म आदि की शिक्षा देने वाले सामाजिक और पारिवारिक ग्रंथ के रूप में रचना की है।

आत्म-शान्ति का साधन-मानस का अध्ययन आत्म-शांति प्रदान करता है। इसमें ज्ञान, भक्ति और कर्म का मेल है। भक्ति, काव्य और नीति की त्रिवेणी इसमें बह रही है। प्रत्येक पात्र कुछ न कुछ शिक्षा देता दिखाई दे रहा है। जनक वाटिका में राम-सीता मिलन, दशरथ-मरण, राम वन गमन, (राम-भरत) मिलन, लक्ष्मण-मूर्छा, इस काव्य में ऐसे मर्मस्पर्शी वर्णन हैं कि सभी का मन बार’पढ़ने पर भी तृप्त नहीं होता।

राम के आचरण से प्रेरणा-आज भारत में धर्म और जाति-पॉति के नाम पर मानव-मानव के खून का प्यासा हो रहा है। शबरी के जूठे बेर, जटायु गीध का अंतिम संस्कार, निषाद को मित्र नानी आदि राम के आचरण से हम प्रेरणा ले सकते हैं। मैं तो यहाँ तक कहूँगा कि यदि आज प्रत्येक भारतवासी इस सद्ग्रंथ का अध्ययन करने लग जाए तो आपसी मतभेद, ईया, वेष की भावना नष्ट हो जाए। लोग परस्पर स्नेह के साथ व्यवहार करने लगेंगे और भारत में फिर से राम-राज्य स्थापित हो जाएगा।

उपसंहार-मैं नियमित रूप से मानस का अध्ययन प्रातः और सायं करता हूँ। यह मेरे मन शांति प्रदान करता है। यह मेरे जीवन की कठिनाइयों का हल है। यह सद्ग्रंथ कुमार्ग चलने से मेरी रक्षा करता है। भगवान राम से मैं यही विनती करता हूँ कि सबको तुलसीकृत मचरितमानस का अध्ययन करने की प्रेरणा दें ताकि भारत जैसे देश में सुख और शांति का साम्राज्य स्थापित हो।

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