स्वतंत्रता दिवस राष्ट्रीय पर्व
Independence Day National Festival
“खिल उठी कली-कली नया विकास आ गया।
स्वतंत्रता दिवस लिये नया प्रभात आ गया।
एकता की राह पर शांति दीप जला गया।
स्वतंत्रता दिवस लिए, नया प्रभात आ गया।।”
भूमिका-भारत का इतिहास अनेक घटना चक्रों को अपने में सँजोए हुए है। इस देश पर मुगलों के पश्चात अंग्रेज़ आए और देशी राजाओं की आपसी फूट तथा राष्ट्रीय चरित्र के अभाव के कारण हम अंग्रेजों के अधीन हो गए। आजादी प्राप्त करने के लिए भारतवासी सतत प्रयत्नशील रहे। तिलक, गोखले, गांधी, नेहरू, भगतसिंह, आज़ाद जैसे देशुभक्तों के नेतृतव में भारतीय जनता ने संघर्ष किया तथा विदेशियों को इस पावन भूमि से निकाल बाहर करने का बीड़ा शहीदों ने उठाया। उनका खून 15 अगस्त 1947 को रंग ले आया जब अंग्रेज भारत छोड़कर चले गए और देश स्वतंत्र हो गया।
स्वतंत्रता का महत्त्व-“स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।” यह कथन याद दिलाता है कि हमें अपनी भारत माता को स्वतंत्र रखना है। परतंत्रता के पिंजरे में रहकर हम सुख की साँस नहीं ले सकते। हमें याद रखना चाहिए कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये न जाने कितने वीरों ने हँसते-हँसते फाँसी के फंदे को चूमा था और स्वतंत्रता की बलिवेदी पर चढ़ गए थे।
गांधी जी का योगदान-स्वतंत्रता का पूर्ण श्रेय गांधीजी को ही जाता है। अहिंसा और शांति के शस्त्र से लड़ने वाले गांधी जी ने अंग्रेज़ों को भारत भूमि छोड़ने के लिये मजबूर कर दिया। उन्होंने बिना रक्तपात के क्रांति ला दी। गांधी जी के नेतृत्व में पं. जवाहरलाल नेहरू सरीखे भी इस क्रांति में कूद पड़े।
जनता का बलिदान-सुभाष चंद्रबोस ने कहा था-“तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।” इस प्रकार जनता भी स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये आतुर हो उठी। गांधी जी द्वारा चलाए गए आंदोलनों से लोगों ने अंग्रेज़ी सरकार का पूर्ण बहिष्कार कर दिया। उन्होंने सरकारी नौकरियाँ छोड़ दी, जेल गए और मृत्यु को हँसते-हँसते गले लगा दिया। अंत में आत्मोसर्ग रंग ले ही आया।
“सपने सत्य नहीं होते, पर सपना सत्य हमारा।
मुक्त हुए चालीस कोटि जन तोड़ विदेशी कारा।।”
देश विभाजन-अंग्रेज़ों ने भारत छोड़ तो दिया परंतु जाते समय भी उन्होंने षड्यंत्र रचा। भारत की इस पावन धरती को दो भागों में विभाजित कर गए। भारत सांप्रदायिकता की अग्नि में जलने लगा। भारत और पाकिस्तान के दो भवन रक्त की नींव पर चिन दिए गए।
स्वतंत्रता दिवस का आयोजन-बलिदान, त्याग आदि को याद रखने के लिये प्रति वर्ष स्वतंत्रता दिवस बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। देश के प्रत्येक नगर में तिरंगा झंडा फहराया जाता है। अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। दिल्ली का स्वतंत्रता दिवस-भारत की राजधानी दिल्ली में, जहाँ स्वतंत्रता संग्राम लड़ा गया, स्वतंत्रता प्राप्ति पर पन्द्रह अगस्त को ऐतिहासिक स्थल लाल किले पर स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने तिरंगा झंडा फहराया था। इसी भाँति लाल किले पर प्रत्येक वर्ष झंडा फहराया ता है। लाखों नर-नारी इस उत्सव में भाग लेते हैं। प्रधानमंत्री झंडा फहराने के पश्चात भाषण देते है और स्वतंत्रता को कायम रखने का सब मिल कर प्रण करते हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम-इस दिन विभिन्न संस्थाएँ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती हैं। गीत-संगीत का कार्यक्रम होता है। प्रधानमंत्री इस दिन विभिन्न देशों के राजदूतों, विदेशी अतिथियों तथा गणमान्य व्यक्तियों को भोज पर आमंत्रित करते हैं। सभी राज्यों की राजधानियों में भी यह उत्सव धूम-धाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
उपसंहार-वास्तव में स्वतंत्रता दिवस हमें स्वतंत्रता को स्थिर रखने की याद दिलाता है। हमें अपनी मातृभूमि के लिये तन-मन-धन न्योछावर कर स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए। इससे हमें प्रेरणा लेनी चाहिए कि देश के प्रति हमारे कर्तव्य क्या हैं। हमें देश को समद्ध बनाना है। मरतंत्रता की कालिमा भरी रात न आए, इसलिए हमें अपने मतभेद भुला एकजुट हो जाना होगा।