Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Azad Bharat ki Pehli Chunauti”, “आजाद भारत की पहली चुनौती” for Students.

आजाद भारत की पहली चुनौती

Azad Bharat ki Pehli Chunauti

मुख्य तौर पर स्वतंत्र भारत के सामने पहली और तात्कालीन चुनौती एकता के सूत्र में बंधे एक ऐसे भारत को गढ़ने की थी जिसमें भारतीय समाज की सारी विविधताओं के लिए जगह हो। भारत अपने आकार और विविधता में किसी महादेश के बराबर था। यहाँ अलग-अलग बोली बोलने वाले लोग थे, उनकी संस्कृत अच्छी थी और वे अलग-अलग धर्मों के अनुयायी थे। उस वक्त आमतौर पर यही माना जा रहा था कि इतनी विविधताओं से भरा कोई देश ज्यादा दिनों तक एकजुट नहीं रह सकता। देश के विभाजन के समय दुर्भाग्य से जो दंगे हुए उनसे लोगों के मन में समाई यह आशंका एक तरह से सच साबित हुई थी। भारत के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल खड़े थे : क्या भारत एक रह पाएगा? क्या ऐसा करने के लिए भारत सिर्फ राष्ट्रीय एकता की बात पर सबसे ज्यादा जोर देगा और बाकी उद्देश्यों को तिलांजलि दे देगा? क्या ऐसे में हर क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय पहचान को खारिज कर दिया जाएगा? उस वक्त का सबसे तीखा और चुभता हुआ एक सवाल यह भी था कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता को कैसे हासिल किया जाए?

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