पिकनिक का एक दिन
(A Picnic Day)
सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहाँ
जिंदगी गर रही तो नौजवानी फिर कहाँ?
भूमिका-मनुष्य जीवन में मनोरंजन का विशेष महत्त्व है। यद्यपि विज्ञान ने अनेक साधन सुलभ करा दिए हैं परंतु प्राकृतिक मनोरंजन का आनंद अनोखा ही है। पिकनिक पर जाइए, नौका विहार कीजिए या भ्रमण कीजिए, पर पिकनिक सर्वोत्तम है।
पिकनिक के लिए स्थान-ऐसा स्थान, जहाँ नगर की हलचल न हो, वातावरण में दुर्गध न हो। प्रकृति की गोद में जहाँ भगवान स्वयं वास करते हों, पिकनिक का आनंद वहीं होता है। पिकनिक के लिए सबसे सुंदर स्थान होता है नदी, झील या किसी बाँध का सुंदर तट जहाँ शीतल समीर का झोंका आता रहता हो।
आधुनिक पिकनिक स्थल-सरकार ने भी मनुष्य के विकास के लिए अनेक पिकनिक स्थलों का निर्माण कराया है। दिल्ली स्वयं एक पिकनिक स्थान है। बुद्ध पार्क, लोधी गार्डन, तालकटोरा पार्क जहाँ कुछ क्षण के लिए अपनी सारी चिंताओं को भूल प्रकृति में रम दिल्ली के निकट बड़खल झील, सोहना तथा सूर्य कुंड आदि भी आधुनिक पिकनिक स्थल हैं।
पिकनिक की विशेषताएँ-प्रकृति की गोद में बसे स्थानों का आनंद लेने के लिए, पिकनिक मनाने के लिये, वहाँ नौका विहार कीजिए, चित्र खींचिए, स्वादिष्ट भोजन मिलकर खाने का आनंद लीजिए, हँसिए, गाइए, नाचिए तथा जीवन के मधुर रस का घोल पीजिए।
पिकनिक का हमारा एक दिन-पुस्तकों में पढ़ा था, अध्यापकों ने भी कई बार बताया था, उत्सुकता थी कि क्या कभी हम भी पिकनिक मनाएंगे। गर्मी की छुट्टियाँ थीं। दिल्ली, जहाँ मेहमान बिन बुलाए जा टपकते हैं और हमारे घर तो बुलाए और बिना बुलाए सभी एक थे, उनमें हमारे गाँव के रहने वाले थे. जो दिल्ली देखने आए थे। मैंने भी अपने पिता जी से जिद की कि मैं भी पिकनिक मनाने चलूँगा क्योंकि मेहमानों में चार-पाँच ही मेरी आयु के थे। वे मेरे बन गए थे। पिता जी की भी छुट्टी थी. अतः शीघ्र ही पिकनिक पर चलने की बात मान गए। एक दिन पिकनिक के नाम पर ही सही।
पिकनिक की तैयारी-घर में पूरियाँ उतारी जा रही थीं। पिताजी बाज़ार से फल आदि लेने चले गए थे। नहाने का प्रोग्राम भी था। अतः नहाने का सामान साथ ले जाने की तैयारी हो रही थी। पिताजी ने अपनी कार के चालक को आवश्यक निर्देश दे दिए थे। भोजन के टिफिन कैरियर तथा पानी की बोतलें, फल आदि सारा सामान कार में रख दिया गया।
पिकनिक का आनंद स्थल-हम लगभग एक घंटे में बड़खल झील पहुँच गए। चारों ओर शांत स्निग्ध वातावरण था। ऐसा लगता था कि हरे तन पर पृथ्वी नीला वस्त्र धारण किए हुए हो। दिल्ली के समीप फरीदाबाद नामक औद्योगिक नगर के निकट एक पहाड़ी है। इस पहाड़ी पर अदर्ध-वत्ताकार एक विशाल स्वच्छ झील है। इसी झील पर पिकनिक मनाने आ पहुंचे। सात एकड़ भूमि में फैली इस झील के चारों ओर हरे-भरे वृक्ष लगे हुए थे। हरी घास के मैदान, दर्शक एवं पक्षियों के विश्राम व आनंद के स्थल थे। हम भी एकांत देख झील के किनारे बैठ गए।
नौका विहार-सबसे पहले हम सबने नौका विहार करने का निश्चय किया। पिताजी ने सारा प्रबंध कर हमें नौका में बिठा दिया। हममें कोई भी कवि नहीं था परंतु वातावरण ने कवि बना दिया और आनंद आ रहा था सामूहिक पिकनिक था।
मनोरंजन इसके पश्चात गीत-संगीत का कार्यक्रम चलता रहा। खेलते-खेलते हम थक गए तथा थक कर नहाने चले गए। नहा-धो लेने के बाद भूख सताने लगी। पेट में चूहे कूद रहे थे। हम सबने. मिलकर विभिन्न स्वादिष्ट वस्तुओं का आनंद लिया। रश्मि को तो मानो समय ही न था खाने का। वह तो मछली पकड़ने में लीन था।
उपसंहार-पिकनिक का आनंद अवर्णनीय है। हम सबने मिलकर पिकनिक मनाई। मन अब भी करता है, पर परीक्षाएँ सिर पर हैं। कौन भूल सकता है प्रकृति के इस स्वर्गिक सुख को।