तैराकी का खेल
Teraki ka Khel
तैराकी खेल शारीरिक व्यायाम के साथ-साथ मनोरंजन का एक साधन भी है। स्वास्थ्य की दृष्टि से इस खेल के समान कोई अन्य खेल नहीं है। तैराकी प्रतियोगिता में चार प्रकार के खेल होते हैं-फ्रीस्टाइल, बैकस्ट्रोक, ब्रेस्टस्ट्रोक और बटरफ्लाई। ऐसी भी तैराकी प्रतियोगिताएँ होती हैं जिनमें इन चारों स्टाइल का मिश्रण होता है।
तैराकी बहुत प्राचीन खेल है। 36 ईसा पूर्व में, सुईगिऊ के शासनकाल में जापान में तैराकी की रेस हुई थी। वहाँ तैराकी खेल सन् 1603 से आधिकारिक रूप से खेला जा रहा है। वहाँ आज भी स्कूलों में तैरना सीखना अनिवार्य है। तैराकी खेल को सन् 1896 में एथेंस में पहली बार ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया था। इसमें फ्रीस्टाइल की तीन प्रतियोगिताएँ पुरुषों के लिए थीं और एक विशिष्ट प्रतियोगिता जहाज़ के नाविकों के लिए थी।
तैराकी के लिए तालाबों की लंबाई अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होती है। ओलंपिक खेलों में तालाबों की लंबाई 50 मीटर (164 फीट), चौड़ाई 23 मीटर (75 फीट) और गहराई 2 मीटर (6 फीट 7 इंच) होती है। अन्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेलों में तालाब 25 मी. (82 फीट) लंबा, 18 मी. (60 फीट) चौड़ा और कम-से-कम 1.2 मी. (4 फीट) गहरा होता है।
तैराकी में फ्रीस्टाइल, ब्रेस्टस्ट्रोक और बटरफ्लाई रेस (दौड़) डुबकी के साथ ही प्रारंभ होती है। रेफरी जैसे ही एक लंबी सीटी बजाता है, तैराक खिलाड़ी दोनों पैर एक साथ जोड़कर तालाब में कूद जाता है। इस प्रकार यह रेस प्रारंभ हो जाती है। इसी प्रकार बैकस्ट्रोक और मेडले रिले रेस में खिलाड़ी रेफरी द्वारा लंबी सीटी बजाते ही तालाब में कूद पडते हैं और तैरने लगते हैं। दूसरी सीटी बजाने पर खिलाड़ी तुरंत वापस लौट पड़ते हैं। अपनी रेस समाप्त करने के बाद तैराक पीठ के बल चित अवस्था में ही दीवार को छूता है।
ब्रेस्टस्ट्रोक स्टाइल में तैराक खिलाड़ी वक्ष (छाती) के बल दोनों हाथों से तैरता है। बटरफ्लाई स्टाइल में भी छाती के बल तैरना होता है। इसमें खिलाड़ी को पीठ के बल तैरने या घूमने की अनुमति नहीं होती। परंतु फ्रीस्टाइल में तैराक खिलाड़ी किसी भी तरीके से तैर सकता है और रेस की समाप्ति के पश्चात् खिलाड़ी को तैरने की अवस्था में ही दीवार छूनी होती है।
मेडले तैराकी में चारों स्टाइल को मिश्रित करके तैरते हैं-बटरफ्लाई, बैकस्ट्रोक, ब्रेस्टस्ट्रोक एवं फ्रीस्टाइल। परंतु मेडले रिले में इससे भिन्न स्टाइल का अनुसरण किया जाता है-बैकस्ट्रोक, ब्रेस्टस्ट्रोक, बटरफ्लाइ और फ्रीस्टाइल। तैराकी रेस में तालाब में तैरने का सभी खिलाड़ियों का अपना अलग मार्ग होता है। तैराकी में एक नियम यह भी है कि खिलाडी को तालाब की दीवार या किसी अन्य वस्तु से स्पर्श नहीं करना चाहिए। इसके अतिरिक्त अपारदर्शी कपड़े (ड्रैस), गॉगल्स एवं कैप पहनना अनिवार्य होता है तथा गति देने वाले यंत्र अथवा तैरने में सहयोग करनेवाला यंत्र (ट्यूब आदि) का प्रयोग सर्वदा वर्जित है।
तैराकी खेल में खिलाड़ी के लिए सफलता की अपार संभावनाएँ हैं। जैसे अमेरिका के युवा तैराक खिलाड़ी माइकल फेल्प्स ने 2008 के ओलंपिक खेलों में एक ही बार में 8 स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। यह इतिहास कोई भारतीय खिलाड़ी भी रच सकता है। बस, इसके लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।