शतरंज का खेल
Shatranj ka Khel
शतरंज एक प्रतियोगी खेल होने के साथ-साथ मनोरंजन का साधन भी है। प्राचीन काल में राजा-महाराजा, नवाब और जमींदार आदि समय काटने के उद्देश्य से खाली समय में शतरंज खेला करते थे। भारत में यह खेल बहुत समय से खेला जाता है। परंतु दक्षिणी यूरोप में शतरंज 15वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में खेला जाता था।
आज, शतरंज विश्व का सबसे लोकप्रिय खेल है। इसे लाखों लोग अपने घरों, चौपालों. क्लबों और कंम्प्यूटर पर खेलते हैं। यह खेल 64 खानों की चौकोर शतरंज की बिसात पर खेला जाता है। इस बिसात (चेसबोर्ड) में लंबाई-चौड़ाई में 8-8 खाने अर्थात् कुल 64 खाने होते हैं-दोनों ओर 32-32 खाने। इन्हीं खानों में शतरंज की गोटियाँ रखी जाती हैं। प्रत्येक खिलाड़ी के पास 16 गोटियाँ होती हैं-एक राजा, एक वज़ीर, दो ऊँट, दो घोड़े, दो हाथी और आठ प्यादे। राजा एक ‘घर’ (खाना) चलता है। वह हर तरफ चल सकता है। वज़ीर भी हर तरफ से मार सकता है। शतरंज में वजीर को सबसे शक्तिशाली माना जाता है। ऊँट हमेशा तिरछा चलता है। घोड़ा ढाई घर चलता है-दो सीधे और एक तिरछा। हाथी चारों दिशाओं में सीधा ही चलता है। प्यादा भी एक घर चलता है। सफेद प्यादा सफेद को और काला प्यादा काले को ही मारता है।
प्रत्येक खिलाड़ी को बहुत सोच-समझकर खेलना होता है। प्रत्येक खिलाड़ी अपने प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी के राजा को शह (चेकमेट) देता है अर्थात् उसे हराता है। यही हर खिलाड़ी का उद्देश्य होता है। शतरंज की गोटियाँ आधी सफेद और आधी काली होती हैं। राजा सफेद होता है, हाथी काला होता है, वज़ीर भी काला होता है, प्यादा सफेद और घोडा का होता है तथा ऊँट सफेद होता है।
इस खेल में दो खिलाड़ी होते हैं, जो आमने-सामने बैठकर खेल हैं। आजकल तो शतरंज एक खिलाड़ी भी खेल सकता है, परंतु उसका प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी कंम्प्यूटर होता है। विश्व स्तर के खेलों में खेल की प्रारंभ करने में एक मिनट का समय दिया जाता है। खेल का समय 1 मिनट से लेकर एक घंटे (60 मिनट) तक का हो सकता है। इस खेल को बड़ी चतुराई से खेला जाता है। जिस प्रकार युद्ध जीतने के लिए एक रणनीति बनानी पड़ती है, वैसे ही शतरंज का खेल भी रणनीति बनाकर खेला जाता है।
इस खेल की शुरूआत 16वीं सदी में हुई थी। फिर शनैः शनैः इसका विकास होता गया। आज शतरंज की एक अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति है। प्रथम विश्व शतरंज चैंपियन (विजेता) विलहेम स्टीनिज़ था। उसे यह खिताब 1886 में मिला था। वर्तमान में (2008 में) विश्वनाथन शतरंज विश्व चैंपियन है।
आजकल तो छोटे-छोटे बच्चों को भी शतरंज में महारत हासिल है। वे भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार जीत रहे हैं। संप्रति इस विश्व प्रसिद्ध खेल में भारत सबसे आगे है।